भाई-बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक भाई दूज कल
भाई-बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक भाई दूज कल
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दीपावली के बाद अब श्रद्धालु गोवर्धन पूजा और इसके बाद द्वितीया को मनाए जाने वाले उल्लास में जुट गई है। जी हां, दीपावली के बाद आने वाली कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि को देशभर में यम द्वितीया या भाईदूज के तौर पर मनाया जाता है। इस दौरान शुक्रवार का शुभ संयोग रहेगा। यह पर्व भाई - बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक बताया जा रहा है। माना जाता है कि भगवान यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने उनके घर पहुंचे थे। तब से श्रद्धालु इस पर्व को मनाते हैं और भाई अपनी बहनों के यहां भोजन करने जाते हैं। माना जाता है कि बहनों के यहां भोजनकरने से भाई की उम्र बढ़ती है। 

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन यमुना द्वारा अपने भाई यम को घर निमंत्रित किया गया था। उसे सत्कार के साथ भोजन करवाया गया था। जिसके कारण इस पर्व को यम द्वितीया के रूप में मनाया जाता है। यमराज ने प्रसन्न होकर अपनी बहन यमुना को वरदान दिया था कि जो भी व्यक्ति यमुना में स्नान कर यम का पूजन करेगा उसे मृत्यु के बाद यम लोक की यात्रा नहीं करनी होगी। यमुना जी सूर्य की पुत्री कही जाती हैं। 

यमुना जी सभी कष्टों का निवारण करने वाली देवी स्वरूप हैं। मृत्यु के देवता यमराज कहे गए हैं। यम द्वितीया के ही दिन यमुना में स्नान करने और यमराज का पूजन करने से पुण्य प्राप्त होता है। इस दिन भगवान यमराज का पूजन करने से शुभ फल प्राप्त होता है। यम द्वितीया के दिन प्रातः 6.50 बजे से रात 8.00 बजे तक चल का मुहूर्त रहेगा।  फिर प्रातः 8 बजे से रात 9.20 बजे तक लाभ का मुहूर्त रखा गया है। प्रातः 9.20 बजे से 10.46 बजे तक अमृत का मुहूर्त रहेगा।

दोपहर 12.10 बजे से दोपहर 1.30 बजे तक शुभ का मुहूर्त रहेगा। शाम 4.20 बजे से 5.40 बजे तक चल मुहूर्त रहेगा। इस दिन सभी के कर्मों का लेखा - जोखा रखने वाले भगवान श्री चित्रगुप्त ज का भी पूजन किया जाता है। भाई बहन इस दिन सबसे पहले यमराज, श्री चित्रगुप्त जी और यम के दूतों का पूजन करते हैं। उन्हें अध्र्य दिया जाता है। बहन और भाई आयु की वृद्धि के लिए यम की प्रतिमा का विधिवत पूजन करते हैं।

उन्हें भगवान श्री हनुमान जी, बलि, परशुराम, व्यास, विभीषण और आचार्य कृपाचार्य का स्मरण करना होता है। इसके अलावा अन्य चिरंजीवी अश्वत्था का स्मरण भी किया जाता है और कहा जाता है कि मेरे भाई को भी इनकी तरह चिरंजीवी कर दीजिए। बहन भाई को भोजन करवाती है, भोजन के बाद भाई को तिलक लगाया जाता है, जिसके बाद भाई बहन को भेंट प्रदान करता है। भेंट स्वरूप बहन को स्वर्ण आभूषण, वस्त्र दिए जाते हैं। 

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