मात्र एक ऐसा धर्म जिसमें ग्रंथ की मनाते है जयंती
मात्र एक ऐसा धर्म जिसमें ग्रंथ की मनाते है जयंती
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हिन्दू धर्म के अनेकों ग्रंथों में एक ग्रन्थ ब्रह्मपुराण में शुक्ल एकादशी का अत्यधिक महत्त्व बताया गया है . बताया गया है की द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने शुक्ल एकादशी के दिन अर्जुन को श्रीमत भागवत गीता का उपदेश दिया था। इसी वजह से इसी तिथि को गीता जयंती के नाम से मनाया जाता है।

हमारा यह भारत ही मात्र एक ऐसा देश हैं. जिसमें अत्याधिक धर्म- कर्म के चलते इस ग्रंथ की भी जयंती मनाई जाती है। आप जानते ही होंगें की हिंदु धर्म का सबसे प्रमुख ग्रंथ श्रीमद भागवत गीता है. और हम इस की जयंती मनाते है . आप पूछेगें की ऐसा क्यों ? 

वह इसलिए क्योंकि श्रीमद भागवत गीता का जन्म स्वयं भगवान श्रीकृष्ण के श्रीमुख से हुआ है। गीता की साड़ी बातें भगवान कृष्ण के जीवन दर्शन से जुडी अन्य बातों का वर्णन है. इस ग्रन्थ के माध्यम से ही लोगों को जीवन में एक नई दिशा  मिलती है  और इसमें सद मार्ग का उपदेश निहित है . मानव जीवन में इस शुक्ल एकादशी का बहुत ही अधिक महत्त्व होता है. यह मोह का क्षय करनेवाली है। पापों से मुक्ति, जीवन को एक सही दिशा दिखाने वाली एकादशी है . इसी वजह से हम इसे मोक्षदा के नाम से भी जानते है .

इससे मानव को इस संसार से मोक्ष की प्राप्ति होती है . भगवान श्रीकृष्ण मार्गदर्शन देते हुए इस मोक्षदा एकादशी के बारे में बताते हुए कहते है .की 'मैं महीनों में मार्गशीर्ष का महीना हूं।' इसके पीछे मूल भाव यह है. कि मोक्षदा एकादशी के दिन मानवता को नई दिशा देने वाली गीता का उपदेश पूर्ण हुआ था।

अज्ञानता से आत्मज्ञान की ओर- 

नीति के अनुसार गीता केवल लाल कपड़े में बांधकर घर में रखने के लिए नहीं बल्कि उसे पढ़कर संदेशों को आत्मसात करने के लिए है। गीता का चिंतन अज्ञानता को हटाकर आत्मज्ञान की ओर प्रवृत्त करता है। गीता भगवान की श्वास और भक्तों का विश्वास है। गीता के उपदेशो को जीवन में अपनाने से व्यक्ति हमेशा प्रगति को हासिल करता है चिंता से मुक्त होकर जीवन में एक नई दिशा प्राप्त करता है. और ज्ञान का अद्भुत भंडार प्राप्त करता है।

हम सभी हमेशा यही चाहते है की यदि हमने कोई कार्य किया तो उसका परिणाम तुरंत ही मिले लेकिन भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है .कि जीवन में आपको धैर्य के बिना अज्ञान, दुख, मोह, क्रोध, काम और लोभ से निवृत्ति नहीं मिलेगी।धैर्य आपके जीवन में बहुत ही जरूरी है

इसीलिये कहा गया है- 

कर्म करो फल की चिंता मत करों , नेकी कर दरिया में डाल, आदि बातों से आपके जीवन में धैर्य की पुष्टि होती है . यह ग्रन्थ गीता मंगलमय जीवन का महत्वपूर्ण ग्रंथ है। गीता जीवन को तो धन्य बनाती ही है माेक्ष का मार्ग भी सुझाती है।

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