भद्रकाली शक्तिपीठ में हुआ था श्रीकृष्ण और बलराम का मुंडन, पांडवों ने मंदिर में दाम किये थे घोड़े
भद्रकाली शक्तिपीठ में हुआ था श्रीकृष्ण और बलराम का मुंडन, पांडवों ने मंदिर में दाम किये थे घोड़े
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पुराणों के अनुसार भद्रकाली का कुरुक्षेत्र में परमशक्ति पीठधाम है। जी हाँ और इस महाशक्तिपीठ में विशेष उत्सव के रूप में चैत्र और आश्विन मास का नवरात्र मनाया जाता हैं। वहीं शक्तिपीठों में मां भद्रकाली का विशेष महत्व है। जी दरअसल शक्तिपीठ मां सती के वे प्रिय निवास स्थल हैं, जहां पर मां की शक्तियां प्रकट हुई।वहीं हिंदू ग्रंथों में ऐसे केवल 52 शक्तिपीठों का वर्णन मिलता है। 52 शक्तिपीठों में से एक शक्ति पीठ हरियाणा के कुरुक्षेत्र में श्रीदेवी कूप भद्रकाली मंदिर। इसके अलावा एक अन्य भद्रकाली शक्तिपीठ के बारे में भी जिक्र किया जाता है।

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यह दक्षिण भारत में स्थित है। कहा जाता है तमिल नाडु में माता की पीठ गिरी थी और इस स्थान पर माता का कन्याश्रम, भद्रकाली मंदिर और कुमारी मंदिर स्थित है। उन्हें श्रवणी नाम से पुकारा जाता है। वहीं हरियाणा के कुरुक्षेत्र में श्रीदेवी कूप भद्रकाली मंदिर जो स्थित है उसमे देवी सती का दांए पैर का टखना (घुटने के नीचे का भाग) गिरा था। कहा जाता है इसका महत्व तब और बढ़ जाता है, जब इसमें श्रीकृष्ण का जिक्र शामिल हो जाता है। जी दरसल ऐसा कहा जाता है भद्रकाली शक्तिपीठ में श्रीकृष्ण और बलराम का मुंडन हुआ था। भद्रकाली मंदिर में देवी काली की प्रतिमा स्थापित है और मंदिर में प्रवेश करते ही बड़ा कमल का फूल बनाया गया है, जिसमें मां सती के दाएं पैर का टखना स्थापित है जोकि सफेद संगमरमर से बना है। जी दरअसल ऐसी मान्यता है कि महाभारत काल में श्रीकृष्ण पांडवों के साथ इस मंदिर में आए थे।

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उन्होंने विजय के लिए मां से मन्नत मांगी थी। युद्ध में विजय हासिल करने के बाद पांडवों ने मंदिर में आकर घोड़े दान किये थे, तब से यही प्रथा चलती आ रही है। कुछ लोग यहां पर चांदी सोने के घोड़े चढ़ाते हैं तो आम आदमी मिट्टी के घोडे चढाते हैं। यहां पर प्रणव मुखर्जी व देवी प्रतिभा पाटिल सिंह समेत कई राष्ट्रपतियों व अति विशिष्ट व्यक्तियों ने पूजा अर्चना की है।

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