छोटे शहर में ईरिक्शा का मिनटों का आरामदायक सफर
छोटे शहर में ईरिक्शा का मिनटों का आरामदायक सफर
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इन दिनों दिल्ली के प्रदूषण को कम करने और वहां के बदहाल यातायात को दुरूस्त करने के लिए आॅड और ईवन फाॅर्मूले पर प्रयोग किया जा रहा है लेकिन देश के कई ऐसे शहर हैं जहां पर पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन पर अच्छा कार्य किया गया है। यूं तो महानगर तेजी से आगे बढ़ रहे हैं लेकिन छोटे और मझौले शहरों में भी आबादी बढ़ती जा रही है। ऐसे में सुव्यवस्थित आतंरिक परिवहन की इन शहरों को भी जरूरत होती है। ऐसा ही एक शहर है उज्जैन। मध्यप्रदेश का धार्मिक शहर उज्जैन जहां कुछ महीनों बाद ही सिंहस्थ 2016 का आयोजन होना है।

ऐसे महत्वपूर्ण आयोजन के लिए बड़े पैमाने पर परिवहन व्यवस्था को सुदृढ़ रखने की जरूरत होगी। ऐसे में राज्य और स्थानीय सरकार व प्रशासन आधुनिक और सुविधायुक्त परिवहन साधन सड़कों पर उतारने का मन बना रहा है। जिस दिशा में ई रिक्शा भी सड़कों पर उतारे गए हैं। शहर में अभी करीब 50 ईरिक्शा लांच हुए हैं मगर जल्द ही और भी ईरिक्शा के परमिट जारी करने का कार्य किया जा रहा है।

बहरहाल। ईरिक्शा की सवारी का लाभ लेने का अवसर इस छोटे लेकिन आधुनिक और सुव्यवस्थित शहर में मिला तो ऐसा लगा जैसे उड़न खटौले की सवारी ही हो रही है। हवा में बात करता हुआ ईरिक्शा अपने गंतव्य की ओर दौड़ता रहा। सबसे बड़ी खासियत थी कि इसका सफर प्रदूषण मुक्त है। पीछे जाने वाले वाहन को धुंए और दुर्गंध की कोई परेशानी नहीं होती। दूसरी ओर इसमें सफर किसी आॅटो से कम आरामदायक नहीं होता है। इस ईरिक्शा का एक दिन का सफर पुष्पक विमान की सवारी से कम आनंददायक न होगा।

ईरिक्शा जितना अच्छा और आरामदायक चल रहा था उतनी ही मीठी बोली ईरिक्शा चालक की लग रही थी। अपने गंतव्य की ओर ध्यान देता हुआ ईरिक्शा चालक सड़कों पर सरपट रिक्शा दौड़ाते चल रहा था। बेहद किफायती किराए में मैं शहर के नए बस स्टेंड से एक काॅलोनी तक 50 रूपए के किराए में ही पहुंच गया। करीब 5 मिनट का सफर बेहद आरामदायक रहा। ईरिक्शा के आने से एक बेकार हाथ को काम मिला। तो वह खुश हो उठा।

उसकी उम्मीदें बढ़ीं। उसे लगने लगा कि अब की बार सिंहस्थ में उसकी चांदी होगी और उसकी जेबें सिक्कों से खनकेगी। अभी भी रिक्शा चालक को दिन में केवल 4 घंटे रिक्शा चलाने के 300 रूपए प्रतिदिन मिल जाते हैं। इतनी आमदनी में वह खुश है। उसका कहना है कि सिंहस्थ 2016 में तो और कमाई होगी। अभी ही अच्छी आमदनी हो जाती है। आम आॅटो रिक्शा से बेहद अलग यह रिक्शा एक छोटा सा उड़नखटौला मालूम होता है।

इसमें गियर की झनझट नहीं है। हां, करीब 6 से 7 घंटे की इलेक्ट्रिक चार्जिंग से ही यह रिक्शा चल पड़ता है। इसके लिए अधिक प्रयास करने की भी जरूरत नहीं है। अपने घर में मोबाईल की तरह इलेक्ट्रिक प्लग में चार्जिंग सेट लगाईए और चार्जिंग के बाद 60 किलोमीटर के सफर का माईलेज पाईए। बैट्री 60 किलोमीटर का सफर एक बार की चार्जिंग में ही तय करती है। ऐसे में यह वाहन चालक के लिए सोने पर सुहागा साबित हो रहा है। लोगों को ईरिक्शा के संचालन से उम्मीद बंधी है कि सीएनजी और पैट्रोल के बढ़ते दाम में उन्हें एक अच्छे और सस्ते लोकपरिवहन साधन की सुविधा मिली है। 

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