उज्जैन: उज्जैन में चल रहे सिंहस्थ मेले में प्रतिदिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहॅुच रहे हैं । क्षिप्रा नदी में स्नान कर श्रद्धालु पुण्य लाभ ले रहे हैं। श्रद्धालुओं को क्षिप्रा में स्नान के लिए पर्याप्त शुद्ध जल उपलब्ध करवाया जा रहा है। जल का स्तर कम न हो, इस पर प्रशासन द्वारा सतत नजर रखी जा रही हैं। स्नान एवं डुबकी लगाने के लिए पानी का स्तर चार फीट अर्थात 120 सेन्टीमीटर रखा गया है।
श्रद्धालु अधिक गहरे पानी में स्नान के लिए न जाएं, इसके लिए बेरिकेट्स लगाए गए हैं। श्रद्धालुओें को डूबने से बचाने के लिए मोटरवोट, गोताखोर आदि के पर्याप्त इंतजाम घाटों पर किये गये हैं। क्षिप्रा नदी में पानी को शुद्ध रखने का कार्य निरंतर जारी है। शाही स्नान पर पुराने पानी को बहाकर नया पानी क्षिप्रा में प्रवाहित करने की व्यवस्था की गई है।
क्षिप्रा नदी का किनारा श्रद्धालुओं के स्नान हेतु सजाया-संवारा गया है। क्षिप्रा के बॉये किनारे पर लालपुल से लेकर भूखीमाता और भूखीमाता से लेकर दत्त अखाड़ा तक विशाल घाटों का निर्माण किया गया है। दायें तट पर लालपुल से लेकर नृसिंह घाट तक की खाली जगहों पर भी घाटों का निर्माण करवाया गया है। श्रद्धालुओं के स्नान के लिए दोनों किनारों पर लगभग 8 किलोमीटर लम्बाई में घाट उपलब्ध है।
क्षिप्रा नदी में शुद्ध जल से स्नान हो सके, इसके लिए खान नदी डायवर्सन योजना पर काम किया गया है। लगभग 19 किलोमीटर लम्बाई में ग्राम पिपल्याराघौ से निकालकर खान नदी को पाइप लाइन के जरिये कालियादेह महल के आगे क्षिप्रा से जोड़ा गया है। इस तरह त्रिवेणी के आगे से भूखीमाता, रामघाट और मंगलनाथ क्षेत्र के सभी घाटों पर क्षिप्रा नदी का शुद्ध जल प्रवाहित हो रहा है।