इस्लामाबाद : पाकिस्तानी सेना द्वारा 1999 की गर्मियों में कारगिल में घुसपैठ करने से बहुत समय पहले ही भारत के विरुद्ध इस ऑपरेशन की योजना तैयार कर ली गयी थी. तत्कालीन प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो इस योजना का विरोध किया था और उन्होंने तत्कालीन डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन्स परवेज मुशर्रफ को इसकी स्वीकृति नहीं प्रदान की थी. पूर्व भारतीय डिप्लोमैट राजीव डोगरा की नई पुस्तक में 'वेयर बॉर्डर्स ब्लीड: एन इनसाइडर्स अकाउंट ऑफ इंडो-पाक रिलेशन्स' में इसका प्रकटीकरण किया गया. जानकारी दे दें कि कारगिल पर हमले के समय नवाज शरीफ की सरकार सत्ता में थी.
राजीव ने पुस्तक में भारत-पाकिस्तान के मध्य गत 70 वर्षो के ऐतिहासिक, कूटनीतिक और सैन्य हालात के बारे में है. पुस्तक में उन्होंने बेनजीर को 'स्वभाव से उदारपंथी' कहा है, जिनकी पश्चिमी शिक्षा ने उन्हें दूसरे देशों के साथ अच्छे संबंध बनाने में सहायता प्रदान की. उन्होंने अपनी किताब में लिखा है, "यह सत्य है कि वे निम्न दर्जे की खुफिया योजनाओं से प्रभावित थीं, लेकिन उस अवसर पर उन्होंने सेना की योजना का विरोध किया था. उनके इस निर्णय से कारगिल में पाकिस्तानी सेना के हमले को रोक जा सकता था.
बेनजीर ने मुशर्रफ को कही थी कड़वी बाते
बेनजीर द्वारा दिए गए साक्षात्कार के आधार पर डोगरा ने जानकारी दी कि कैसे तत्कालीन पीएम ने मेजर जनरल परवेज मुशर्रफ की इस योजना को रद्द कर दिया था. मुशर्रफ उस समय 'डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन्स' के पद पर कार्यरत थे. मुशर्रफ ने बेनजीर के सामने युद्ध में विजय होने और श्रीनगर पर कब्जे की बात कही थी. इसका जवाब में बेनजीर ने इस रूप में दिया था, "नहीं जनरल, अगर मैं कहूं कि भारत हमें बोलेगा कि श्रीनगर से बाहर चले जाओ, तो सिर्फ श्रीनगर से नहीं, बल्कि आजाद कश्मीर से भी बाहर चले जाना, क्योंकि संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के अंतर्गत जनमत संग्रह मुख्य है.
हमें आजाद कश्मीर से भी निकलना होगा, जहां जनमत संग्रह कराए जाने की आवश्यकता है." पुस्तक में राजीव डोगरा ने यह बात भी मजबूती के साथ कही कि पाकिस्तान के वर्तमान प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को 1993 में हुए मुंबई ब्लास्ट की सूचना थी. सिर्फ इतना ही नहीं उन्होंने खुद ये ब्लास्ट को करने की मंजूरी दी थी. किताब में भारत-पाकिस्तान बंटवारे समेत कई प्रमुख मुद्दों में निर्णायक भूमिका निभाने वाले लॉर्ड माउंटबेटन, मोहम्मद अली जिन्ना, अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह का भी पुस्तक में जिक्र किया गया है.
जाने कौन हैं राजीव
राजीव 1992 से 1994 तक करांची में कौन्सुल जनरल पद पर कार्यरत है. राजीव डोगरा 1974 बैच के इंडियन फॉरन सर्विस अधिकारी हैं जो इटली, रोमानिया, अल्बानिया और सैन मरीनो में राजदूत के रुप में कार्य कर चुके है. इसके अलावा वे रोम स्थित संयुक्त राष्ट्र एजेंसी में भारतीय प्रतिनिधि भी थे.
एक अमेरिकी अखबार और पुस्तक में था दावा- 25 वर्ष पूर्व भारत पर परमाणु हमला करने के इच्छुक था पाक.
पूर्व भारतीय डिप्लोमेट राजीव डोगरा की नई पुस्तक में बेनजीर भुट्टो द्वारा परवेज मुशर्रफ को भारत पर हमला नहीं करने की हिदायत की भी चर्चा की गयी है. लेकिन अमेरिकी अखबार ‘द न्यूयॉर्कर’ की एक खबर और थॉमस रीड और डैनी स्टिलमैन की किताब ‘द न्यूक्लियर एक्सप्रेस : ए पॉलिटिकल हिस्ट्री ऑफ बॉम्ब एंड इट्स प्रोलिफरेशन’ में इस बारे में जिक्र किया गया है कि 25 वर्षो पूर्व कुछ महीनों के लिए भारत-पाक के बीच परमाणु युद्ध होने की आशंका थी.
1. कश्मीर में आतंकवाद
1990 में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद की सजा कश्मीर आज भी भुगत रहा था. तब पाकिस्तान की पीएम रहीं बेनजीर भुट्टो ने पीओके में दिए बयान में कहा था कि कश्मीर की आजादी के लिए हम हिंदुस्तान के साथ 1000 वर्षो तक जंग कर सकते है.
2. भारत की प्रतिक्रिया
बेनजीर के बयान पर तत्कालीन प्रधानमंत्री वी.पी. सिंह ने लोकसभा में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कि जो लोग हमसे जंग लड़ने की बात करते हैं, उनका एक हजार साल तक क्या अस्तित्व भी माजूद रहेगा? कुछ ही दिन बाद सिंह ने श्रीगंगानगर में सेना को संबोधित करते हुए कहा था कि हम पाकिस्तान पर सैन्य कार्रवाई के बारे में विचार कर रहे हैं.
3. राॅबर्ट गेट्स का गोपनीय दौरा
भारत-पाक में बढ़ते संघर्ष के मध्य 21 मई 1990 को अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज एचडब्ल्यू बुश ने अपने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट गेट्स को 2-2 दिन की गोपनीय भारत-पाकिस्तान दौरे पर भेजा. अमेरिका के खोजी पत्रकार सीमोर हर्श ने मार्च 1993 में ‘द न्यूयॉर्कर’ में दी खबर में इस बात को उजागर किया. हर्श के अनुसार जब भारत ने जम्मू-कश्मीर के अलावा राजस्थान सीमा पर भी सैन्य तैनाती कड़ी कर दी तो पाकिस्तान घबरा गया. वह भारत पर परमाणु हमले करने की योजना बनाने लगा.
4. क्या चीन ने पाकिस्तान के लिए किया था परमाणु परीक्षण?
भारत तो इंदिरा गांधी के समय एक बार परमाणु परीक्षण का कार्य पहले ही कर चूका था. लेकिन 1990 से पूर्व अमेरिका को इस पर विश्वास नहीं था कि पाकिस्तान के पास सच में परमाणु बम हैं. लेकिन अमेरिका की खुफिया एजेंसियों ने रिपोर्ट दी कि वह चीन की सहायता से एटमी बम बना सकता था. 1990 के संकट के पश्चात थॉमस रीड और डैनी स्टिलमैन ने अपनी किताब ‘द न्यूक्लियर एक्सप्रेस : ए पॉलिटिकल हिस्ट्री ऑफ बॉम्ब एंड इट्स प्रोलिफरेशन’ में एक और बात उजागर की.
पुस्तक में बताया गया कि चीन ने गेट्स की यात्रा से पूर्व पाकिस्तान के लिए अपने रेगिस्तानी क्षेत्र लॉप नोर में परमाणु परीक्षण किया था. गेट्स चीन पर दबाव बनाने का प्रयत्न कर रहे थे. इसलिए उन्होंने पाकिस्तान का दौरा किया था. इसी दबाव के चलते पाकिस्तान ने भी अमेरिका को वचन दिया था कि वह चीन से परमाणु बम नहीं लेगा. बुश ने बाद में पाकिस्तान को सारी सहायता पर रोक लगा दी. हालांकि, 1998 में भारत और पाकिस्तान ने अपना-अपना परमाणु परीक्षण किया था.