गजछाया योग के कारण पितृपक्ष में तर्पण का अत्यधिक महत्व
गजछाया योग के कारण पितृपक्ष में तर्पण का अत्यधिक महत्व
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15 दिनों के लिये शुरू हो रहे इस पक्ष को पितृपक्ष के नाम से जाना जाता हे इस पक्ष मे लोगों द्वारा अपने पूर्वजों के प्रति सच्ची श्रद्धांजली अर्पित करनी होती है। जिससे हमारे जीवन मे सुख शांति आती हे यह एक बहुत बड़ा धार्मिक कार्य हे पितरों का तर्पण करने से अत्यधिक फल की प्राप्ति होती हे हमारे पूर्वज हमारे लिए जाने कितना कुछ कर जाते हे उन्ही के पुन्न प्रताप के कारण हम आज यहाँ पर है।

इस पक्ष मे हमारे पूर्वज पितृलोक से पृथ्वी लोक में आते हे। इस पक्ष के इन 15 दिनों मे हम इनके प्रति आस्था के साथ भगवान से इनकी शांति के लिए कामना करते हे बहुत से व्यक्ति पितृदोष की वजह से कई कष्टो का सामना करते है। इन दिनों में पितरों को प्रसन्न करना चाहिए पूर्णिमा से अमावस्या के बीच के ये दिन पूर्वजों के लिये होते हे इस पक्ष में लोग अपने इन पूर्वजों के लिये दान, धर्म, पूजा पाठ आदि करते है।

38 सालों के बाद पितृपक्ष का यह विशेष योग पूर्णिमा और अमावस्या के बीच बन रहा है। यह योग गज छाया योग के नाम से जाना जाता है। इस बन रहे योग में पूर्वजों के प्रति श्रद्धांजली अर्पित करने से धन वैभव के साथ साथ संतान की भी प्राप्ति होती है इस गजछाया योग के पूर्वजों के लिये श्राद्ध का अत्यधिक महत्व है।

 38 सालों के बाद पूर्ण चंद्र ग्रहण में पितृपक्ष का प्रारम्भ हो रहा है। लेकिन यह चंद्र ग्रहण भारत के केवल राजस्थान और गुजरात के कुछ हिस्सों में ही दिखाई देगा इस बार श्राद्ध की शुरूआत सोमवार और समापन भी सोमवार को होगा। जब सूर्य और राहू या केतु का सामना होता हे तब यह गज छाया योग बनता है। हमे अपने पूर्वजों के लिये इन दिनों मे विशेष रूप से पूजा पाठ विधि पूर्वक करना चाहिए। जिससे हमारी वंशावली आगे चलती जाती हे और सुख सम्ब्रधी आती है।

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