आमतौर पर भारत में गोरा होना ही सुंदरता का प्रमाण माना जाता है. कई बार तो समाज में सांवले रंग वालों को तिरस्कार भी झेलना पड़ता है. इन्हीं चीजों का विज्ञापन दिखाकर कॉस्मेटिक कंपनियां लोगों को क्रीम लगाने की सलाह देती है, और गोरा होने का दावा करती हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि गोरा करने का दावा करने वाली क्रीम का लगातार इस्तेमाल आपको हमेशा के लिए परेशानी में डाल सकती है.
1-विशेषज्ञों की मानें तो ज्यादातर क्रीमों में स्टेरॉयड होते हैं जो लंबे समय तक इस्तेमाल करने से त्वचा को स्थायी रूप से नुकसान पहुंचा सकते हैं. वैज्ञानिकों की मानें तो ग्लूटेथियोन को इंटरनेट पर गोरेपन के एंजेट के रूप में प्रचारित किया जाता है, लेकिन सच यह है कि यह हमारे शरीर में एक मजबूत एंटीऑक्सीडेंट है जो उम्र बढ़ने या बीमारी के कारण समाप्त हो जाती है.
2-तमाम ब्यूटी एक्सपर्ट भी यह मानते हैं कि त्वचा का रंग हल्का करने वाली क्रीम केवल एक निश्चित सीमा तक मेलानीन को हल्का कर सकती है. यह त्वचा को बिल्कुल गोरा नहीं कर सकती है. उनका मानना है कि गोरेपन के बजाय सुंदर त्वचा की प्रशंसा करनी चाहिए. कोई भी महिला या पुरूष उचित सफाई, टोनिंग, तेल लगाने, मॉश्चरॉइजिंग त्वचा में नमी बनाए रखकर साफ-सुथरी चमकदार त्वचा के जरिए सुंदर दिख सकता है.