एंटी एजिंग क्रीम्स चेहरे की बारीक रेखाओं को क्षण भर के लिए हटा तो देती हैं, पर क्या आप जानते हैं कि इसमें उपयोग केमिकल्स आपकी स्किन के लिए फ्रेंडली है या नहीं? कोई भी एंटी एजिंग प्रोडक्ट खरीदने से पहले कुछ बातों का ख्याल करना आवश्यक है।
आयु बढ़ने के साथ हमारी स्किन सूखती जाती है तथा इसका लचीलापन भी कम हो जाता है। ऐसा कोलेजन एवं इलास्टिन जैसे त्वचा प्रोटीन्स की कमी की वजह से होता है। इसके साथ स्किन में हाइएल्योरॉनिक एसिड की कमी भी त्वचा को रूखा बनाती है तथा लकीरों से भर देती है। हाइएल्योरॉनिक एसिड वास्तव में प्राकृतिक तौर पर स्किन में ही रहता है। इसका काम स्किन की निचली परतों में नमी और हाइड्रेशन के अच्छे स्तर को सुनिश्चित कर उसमें नमी तथा लचीलापन बनाए रखना होता है। इसलिए आयु के साथ स्किन में नमी बनाए रखने की क्षमता कम हो जाती है। इससे स्किन अपनी प्राकृतिक सुंदरता खो देती है।
कई बार अनियमित जीवनशैली, गलत खानपान, अनिद्रा, तनाव आदि के कारण भी चेहरे पर असमय झुर्रियां दिखने लगती है। कारण चाहे जो भी हो, चेहरे की झुर्रियां चिंता तो बढ़ा ही देती हैं। इसलिए इन दिनों बढ़ती आयु को रोकने के लिए स्किनडोर, ओले, पॉन्ड्स नाम से एंटी एजिंग क्रीम की एक बड़ी रेंज बाजार में है। मगर आपकी स्किन के लिए क्या सही है, यह जानना बेहद आवश्यक है।
जानें एंटी एजिंग क्रीम को:- ये क्रीम स्किन की आंतरिक सतह पर खिंचाव उत्पन्न कर देती है, जिससे स्किन यंग नजर आने लगती है। मगर इस तरफ की एंटी एजिंग क्रीम के कुछ साइड इफेक्ट्स भी हैं। इसलिए कोई भी क्रीम लगाने से पहले अपनी स्किन की प्रकृति को जानें व डॉक्टर का सुझाव लें। कॉस्मेटोलॉजिस्ट प्रियंका त्यागी कहती हैं कि नॉन सर्जिकल उपचार में एंटी एजिंग क्रीम का बाजार इन समय बहुत बढ़ा है। मगर उम्र के प्रभाव को कम करने के लिए एंटी एजिंग क्रीम के अलावा त्वचा को नरिश करने के लिए आपको नियमित रूप से एंटी-ऑक्सीडेंटयुक्त खाद्य पदार्थों का सेवन, प्रतिदिन दो लीटर पानी पीने के साथ भरपूर नींद लेने की जरूरत होती है।
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