माघ मास में शुक्ल पक्ष में पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का पर्व मनाते है। कहा जाता है इस दिन को मां सरस्वती के जन्मदिवस के रूप में मनाते है। इस दिन को बड़ा ही शुभ माना जाता है और इस दिन कोई भी नया काम आसानी से शुरू किया जा सकता है। इस दिन को कुछ विशेष शुभ तिथियों में से एक माना जाता है। इसी के साथ इस दिन को अबूझ मुहूर्त भी कहा जाता है। कहा जाता है बसंत पंचमी पर मां सरस्वती की कृपा से संगीत, कला और आध्यात्म का आशीर्वाद मिलता है। जी दरअसल मां सरस्वती विद्या, बुद्धि, वाणी और ज्ञान प्रदान करने वाली देवी मानी जाती हैं। आप सभी जानते ही होंगे मां सरस्वती को श्वेत वर्ण की सामग्रियां विशेष प्रिय हैं।
ऐसे में इस दिन मां सरस्वती की आराधना करनी चाहिए। इसके लिए पीले, बसंती या सफेद वस्त्र धारण करने चाहिए। इसी के साथ मां सरस्वती को श्वेत चंदन और पीले तथा सफ़ेद पुष्प दाएं हाथ से अर्पित करना चाहिए। इस दिन देवी को केसर मिश्रित खीर अर्पित करना चाहिए। ध्यान रहे इस दिन काले, नीले कपड़ों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। कहा जाता है इस दिन सात्विक भोजन करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से मां सरस्वती की कृपा से अच्छी वाणी प्राप्त होती है।
इस दिन अगर बच्चे को वाणी दोष है तो उसकी जीभ पर केसर से चांदी की कलम द्वारा ‘ऐं’ बीज मंत्र लिखें। इससे वाणी दोष दूर हो जाते हैं। बसंत पंचमी के दिन छात्रों को पुस्तक, पेन आदि का दान करना चाहिए। कहा जाता है अगर पढ़ाई में मन कम लगता हो तो बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती को हरे फल अर्पित करना चाहिए। मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती को बांसुरी भेंट करना चाहिए।
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