बापू की वो करीबी महिला, जो गोडसे तक पहुंचाती थी तमाम राज़ - ‘हे राम’ में गाँधी हत्याकांड की ‘प्रामाणिक पड़ताल’
बापू की वो करीबी महिला, जो गोडसे तक पहुंचाती थी तमाम राज़ - ‘हे राम’ में गाँधी हत्याकांड की ‘प्रामाणिक पड़ताल’
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नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली के लोधी गार्डन्स में स्थित ‘इंडिया इंटरनेशनल सेंटर (IIC)’ में शनिवार (28 जनवरी) को ‘जनसभा’ पब्लिकेशन के बैनर तले प्रखर श्रीवास्तव की किताब ‘हे राम: गाँधी हत्याकांड की प्रामाणिक पड़ताल’ का विमोचन किया गया, इस दौरान वरिष्ठ इतिहासकार मीनाक्षी जैन और ‘Zee News’ के कंसल्टिंग एडिटर दीपक चौरसिया भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम में पुस्तक के लेखक प्रखर श्रीवास्तव ने बताया कि किस तरह उस समय की कांग्रेस सरकार महात्मा गाँधी को बचाने में विफल रही।

प्रखर श्रीवास्तव ने इस दौरान कार्यक्रम में मौजूद लोगों से कहा कि गाँधी हत्याकांड में फ़िल्म स्टार पृथ्वीराज कपूर को फँसाने का प्रयास क्यों किया गया था और 'बापू' की वो करीबी महिला कौन थी, जो गोडसे को गाँधी के बारे में तमाम जानकारी देती थी– इन सारे सवालों के जवाब इस किताब में दिए गए हैं। प्रखर श्रीवास्तव ने बताया कि बापू के शिष्य जवाहरलाल नेहरू और सरदार वल्लभभाई पटेल सरकार में होने के बाद भी उन्हें सुरक्षा देने में विफल रहे। इस दौरान लेखक ने महात्मा गाँधी के क़त्ल के बाद हुए चितपावन ब्राह्मणों के नरसंहार की भी बात की और बताया कि किस तरह वीर विनायक दामोदर सावरकर के भाई और स्वतंत्रता सेनानी नारायण सावरकर को भीड़ ने मा र डाला। प्रखर श्रीवास्तव ने बताया कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार न केवल जीते-जी नाथूराम गोडसे से डरी हुई थी, बल्कि सरकार गोडसे की लाश और राख तक भी डर गई थी। यही कारण था कि, नाथूराम गोडसे का अंतिम संस्कार जेल में ही कर दिया गया था। बता दें कि,गोडसे पर फैसला सुनाने वाले जस्टिस जीडी खोसला ने भी कहा था कि यदि कोर्ट में मौजूद दर्शकों को ज्यूरी का दर्जा दे दिया जाए, तो नाथूराम गोडसे बहुमत के आधार पर महात्मा गांधी की हत्या के आरोप से 'निर्दोष' करार दे दिया जाएगा. उन्होंने यह भी कहा था कि, कोर्ट में जब गोडसे ने अपना अंतिम वक्तव्य पढ़ा तो वहां मौजूद तमाम लोगों की आँखों में आंसू आ गए थे। 

 

वहीं, पद्मश्री से सम्मानित इतिहासकार मीनाक्षी जैन ने इस कार्यक्रम के दौरान बताया कि कैसे भारत सरकार ने पहले आरसी मजूमदार को स्वतंत्रता संग्राम इतिहास लिखने का जिम्मा सौंपा था, मगर बाद में एक ऐसे व्यक्ति को चुन लिया गया, जिनके रिसर्च का क्षेत्र, इतिहास का ये काल था ही नहीं। कार्यक्रम में मौजूद महान स्वतंत्रता सेनानी तात्या टोपे के वंशज पराग टोपे ने बताया कि कैसे भारत के हर जगह का इतिहास जुबानी रूप से एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुँचता रहा है।

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