ढाका: बांग्लादेश में हालात पूरी तरह बदलते नजर आ रहे हैं, खासकर 5 अगस्त 2024 को शेख हसीना सरकार को हटाए जाने के बाद। इस समय बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार कार्य कर रही है, और देश के संस्थापक नेता मुजीबुर रहमान तक के खिलाफ आलोचनाएं खुलकर सामने आ रही हैं। हाल ही में कई स्थानों पर मुजीबुर रहमान की मूर्तियों को तोड़ा गया है। इन्हें 'बंगबंधु' के नाम से जाना जाता है, लेकिन अब उनकी जगह पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना को राष्ट्रपिता घोषित करने की मांग उठ रही है।
बुधवार को ढाका प्रेस क्लब में मोहम्मद अली जिन्ना की 76वीं पुण्यतिथि के मौके पर एक कार्यक्रम आयोजित हुआ, जहां जिन्ना को सम्मानित करते हुए मांग की गई कि उन्हें बांग्लादेश का राष्ट्रपिता घोषित किया जाए, जो कि अब तक मुजीबुर रहमान के लिए आरक्षित था। यह मांग उस समय आई जब शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद पाकिस्तान समर्थक तत्व, जैसे जमात-ए-इस्लामी, ने अपनी पकड़ मजबूत कर ली है। इस आयोजन में वक्ताओं ने यहां तक कहा कि बांग्लादेश को दो बार आजादी मिली – पहली बार 14 अगस्त 1947 को और दूसरी बार 5 अगस्त 2024 को, लेकिन 1971 के मुक्ति संग्राम का जिक्र जानबूझकर नहीं किया गया।
इस आयोजन में उर्दू शायरी पढ़ी गई और बांग्लादेश के झंडे और राष्ट्रगान को बदलने की मांग भी की गई। यह घटनाएं उदारवादियों के लिए चिंताजनक हैं, क्योंकि बांग्लादेश की पहचान को बदलने के प्रयास हो रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी ऐसे विचार तेजी से फैल रहे हैं, जिससे देश के भविष्य को लेकर असमंजस बढ़ रहा है।
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