नहीं रहे बांग्लादेश युद्ध वीर जैकब
नहीं रहे बांग्लादेश युद्ध वीर जैकब
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नई दिल्ली : बांग्लादेश युद्ध के हीरो लेफ्टिनेंट जनरल जेएफआर जैकब का निधन हो गया। वर्ष 1971 में पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध और बांग्लादेश को मुक्त करवाने को लेकर जेएफआर जैकब ने मोर्चा संभाला था। भारतीय सेना की पूर्वी कमान के स्टाफ आॅफिसर लेफ्टिनेंट जनरल जैकब सर्वप्रथम ढाका पहुंचने वाले अधिकारी कहे गए हैं। जैकब कुछ दिनों से बीमार थे। 93 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।

उल्लेखनीय है कि जैकब कुछ राज्यों के राज्यपाल भी रह चुके हैं। सैन्य चिकित्सालय में ही उन्होंने अंतिम सांस ली। अपने 36 वर्ष के सेवाकाल में उन्होंने द्वि़तीय विश्व युद्ध और 1965 में भारत और पाकिस्तान युद्ध में बहादुरी दिखाई। 1971 में पाकिस्तान से हुए युद्ध में उन्होंने पाकिस्तानी सेना को आत्मसमर्पण करने की शर्त भी सुनाई।

शर्त थी कि पाकिस्तानी सेना न केवल भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण कर सकती है, बल्कि बांग्लादेश मुक्ति वाहिनी के सामने भी उनके द्वारा आत्मसमर्पण किया गया। पाकिस्तान के लेफ्टिनेंट जनरल नियाजी के पास अकेले ढाका में 26 हजार 400 सैनिक थे, मगर उन्होंने केवल 3 हजार भारतीय सैनिकों के सामने आत्मसमर्पण करना पड़ा।

इसी युद्ध के अंत के बाद बांग्लादेश एक अलग राष्ट्र बना। 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों ने अपने हथियार डाल दिए। इस युद्ध पर जेएफआर जैकब ने एक पुस्तक भी लिखी थी। इस पुस्तक को सरेंडर एट ढाका - एक देश का जन्म के नाम से जाना जाता है।

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