खांसी-जुकाम की दवा छापे के बाद हुई जब्त, हिमाचल में बिक्री पर लगी रोक
खांसी-जुकाम की दवा छापे के बाद हुई जब्त, हिमाचल में बिक्री पर लगी रोक
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हिमाचल के कालाअंब स्थित मैसर्ज डिजिटल विजन दवा कंपनी में तैयार हो रहे कोल्ड बेस्ट पीसी सीरप की रिकवरी को स्टेट ड्रग कंट्रोलर की टीम ने दो जगह छापे मारे है। इसके साथ ही छापे के दौरान 300 बोतल दवा जब्त की गई है। वहीं यह कार्रवाई जम्मू-कश्मीर में कई बच्चों की मौत और किडनियां खराब होने के बाद जम्मू-कश्मीर के स्टेट ड्रग कंट्रोलर की ओर से जारी लेटर के आधार पर की गई है। यह लेटर हिमाचल, हरियाणा समेत कई राज्यों को भेजा गया है। इसके साथ ही इसी के चलते रविवार को हिमाचल दवा प्राधिकरण ने भी कालाअंब में दबिश देकर सैंपल भरे हैं। इन्हें लैब भेजा है। राज्य दवा नियंत्रक नवनीत मरवाह ने बताया कि रिपोर्ट आने तक दवा की बिक्री पर पाबंदी लगा दी गई है।

इसके अलावा उल्लेखनीय है कि अगर दवा में पीजीआई की ओर से बताए केमिकल डाइथिलेन ग्लाइकोल होने की पुष्टि हो गई तो फिर दवा निर्माण करने वाली कंपनी के प्रबंधकों के साथ इसे बिना बिल के बेचने वाले केमिस्ट शॉप मालिकों को कड़ी सजा मिल सकती है। इसके साथ ही ऐसे मामलों में जुर्म साबित होने पर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है। फिलहाल , इस मामले में लैब से रिपोर्ट आने के बाद ही अधिकारी अगली कार्रवाई की बात कह रहे हैं। यह बिलकुल सही है कि कोल्ड बेस्ट सीरप के सेवन की वजह से जम्मू कश्मीर के रामनगर एरिया में कई बच्चों की मौत हो गई। इस दवा के सेवन से बच्चों की किडनी पर ज्यादा असर पड़ा है। दवा की जांच में पीजीआई ने भी इसमें डाइथिलेन ग्लाइको होने की बात कही है। 

आपकी जानकारी के लिए बता दें की यह बेहद खतरनाक केमिकल है जो कि सेहत के लिए हानिकारक है। आज छापे में 300 बोतल सीरप जब्त किया है। इसके साथ ही जिसे जांच के लिए लैब में भेजा जा रहा है। रिपोर्ट आने के बाद ही कार्रवाई तय होगी। फार्मा हब के रूप में विख्यात हिमाचल के उद्योगों में निर्मित होने वाली दवाओं पर सवाल खड़े हो रहे हैं। वर्ष 2019 में प्रदेश के उद्योगों में बनी 100 दवाओं के सैंपल फेल हो चुके हैं। वर्ष 2018 में भी देश भर में फेल हुईं 350 दवाओं में से हिमाचल की 100 से अधिक दवाएं मौजूद रहीं है । 2020 के जनवरी माह में देश भर में लिए गए सैंपलों में से फेल हुई 34 दवाओं में सूबे के उद्योगों की चार दवाएं फेल हो गए हैं। वर्ष 2008 में बद्दी में बनी दवा भी सवालों के घेरे में आई थी। इसके अलावा उस दौरान राजस्थान में एक शिविर लगा था, जिसमें इस दवा से लोग अंधेपन का शिकार हो गए थे। इस दवा के सौ बैच के लाइसेंस रद्द किए गए थे।

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