जीवों के जीवन में जंगलों का बड़ा महत्व होता है जो हमें कई चीजें देते हैं. जंगल न हो तो जीव ज्यादा दिन तक नहीं रह पायेगा. आज हम भी आपको एक जंगल के बारे में बताने जा रहे हैं लेकिन यह जंगल अपनेआप में विशेषता लिए हुए हैं. इस जंगल के बांस को अपनी पवित्रता के लिए जाना जाता है और यह केवल देवताओं की पूजा में ही इस्तेमाल किया जाता हैं. क्यों है ये बांस इतना ख़ास इसके बारे में हम बताने जा रहे हैं. तो चलिए आपको भी बता देते हैं.
दरअसल, अबूझमाड़ के ताड़ोनार पंचायत के गांव करेड़कानार के करीब एक एकड़ के बांस के वन को इतना पवित्र माना जाता है कि, यहां से बास्ता और मशरुम (फूटू) तक नहीं ले जाया जाता है. इसे बस किसी खास पूजा के लिए ही इस्तेमाल किया जाता है. इस वन के बांस केवल देवों की पूजा में इस्तेमाल के लिए होते है. कोड़कानार के बुजुर्ग सोमारु कोर्राम बताते है कि उनके पैदा होने के पहले से इस वन के बांस का इस्तेमाल करने की वर्जना है. ऐसा इसलिए क्यूंकि उनका मानना है कि जो यहां से बांस ले जाता है उसके साथ अनहोनी होती है. इसलिए इससे कुछ भी नहीं ले जाता.
इसके अलावा गंगदेर कवाची का कहना है कि अब तक इस स्थान से किसी ने बांस की चोरी नहीं की है और न ही किसी ने घरेलू इस्तेमाल के लिए बांस लिया है. ग्रामीण बुदरु मंडावी बताते है कि नेडऩार में पाण्डलिया देव, ताड़ोनार में उदूमकवार व कोड़कानार में कण्डामुदिया देव के मंदिर है. इन देवों के लाट के लए यहां से बांस ले जाया जाता है. यहां सिर्फ पुजारी को ही बांस काटने का हक है और वह भी देव लाट के लिए. इसके अलावा कोई भी इस बांस को हाथ नहीं नहीं लगता.
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