घाट वाले बालाजी
घाट वाले बालाजी
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जयपुर से 20 किमी. दूर गलता तीर्थ के करीब ही पहाड़ियों पर बसा है घाट के बालाजी का भव्य मंदिर. मान्यता है कि यहां बाला जी स्वयं प्रकट हुए थे और तब जयपुर के राज परिवार ने नगर बसाने से पहले बजरंगबली को स्थापित किया था. बालाजी मंदिर में पवनपुत्र की प्रतिमा दक्षिणमुखी है जिन्हें जीवन के सभी दुखों का नाश करने वाला माना जाता है. कहते हैं उनका आशीर्वाद लेने के बाद भक्तों को कठिन से कठिन कार्य में भी सफलता मिलती है.

घाट के बालाजी का ये मंदिर प्राचीन मंदिरों में से एक है जिन्हें जयपुर का कुल देवता माना जाता है. प्राचीन समय में मंदिर के आसपास कई तालाब और पानी के कई घाट हुआ करते थे, जिसके कारण यहां बजरंगबली को घाट के बालाजी के नाम से पुकारा जाने लगा.

मंदिर में सुबह 5 बजे बालाजी को स्नान कराकर उन्हें जगाया जाता है और पूरे श्रृंगार के बाद 7 बजे पहली आरती होती है. लेकिन दोपहर के दर्शनों का यहां विशेष महत्व माना गया है. ऐसी मान्यता है कि दिन में 12 बजे से शाम को तीन बजे तक घाट के बाला जी के दर्शन करने वालों को बालाजी जल्द प्रसन्न होकर मनचाहा वरदान दे देते हैं. रात 10 बजे आरती के बाद भोग लगाकर मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं.

हर मंगलवार और शनिवार को बजंरगबली का चोला बदला जाता है. कहते हैं इस अवसर पर भी बजरंगबली की पूजा कर जो भी मन्नत मांगी जाती है वो जरूर पूरी होती है.

सिर्फ 6 महीने ही दर्शन देते है भगवान

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