अन्याय विरोधी थे बाल गंगाधर तिलक, पत्रकारिता के माध्यम से किया था लोगों को जागृत
अन्याय विरोधी थे बाल गंगाधर तिलक, पत्रकारिता के माध्यम से किया था लोगों को जागृत
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महान क्रांतिकारियों में शामिल बाल गंगाधर तिलक का जन्म आज ही के दिन हुआ था। बाल गंगाधर तिलक ने भारत को आजाद करवाने के लिए अपनी पूरी जिंदगी दे दी। जी दरअसल अंग्रेजों के कुशासन से भारत को स्वतंत्रता दिलवाने के लिए बाल गंगाधर तिलक ने अपना पूरा जीवन दे दिया। वह एक स्वतंत्रता सेनानी तो थे ही लेकिन इसी के साथ ही वह भारतीय समाज सुधारक, शिक्षक, वकील और भारतीय इतिहास, संस्कृत, हिन्दू धर्म, गणित और खगोल विज्ञान के ज्ञाता भी थे और इसी के चलते उन्हें बहुत प्रमुख माना जाता था। आप सभी को बता दें कि बाल गंगाधर तिलक का जन्म 23 जुलाई 1856 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। बाल गंगाधर तिलक के पिता का नाम श्री गंगाधर रामचंद्र तिलक व माता का नाम पार्वती बाई था।

वह बचपन से ही पढ़ने-लिखने के शौकीन थे। वह आधुनिक कॉलेज शिक्षा पाने वाली पहली भारतीय पीढ़ी में थे और यह उनकी महान विद्वता ही थी कि बड़ी संख्या में लोग उनके अनुयायी थे। उस समय उनके प्रति देश का लोक प्रेम था और इसी के चलते उन्हें ‘लोकमान्य’ की उपाधि मिली। वहीँ साल 1871 में बालगंगाधर तिलक की शादी तापीबाई से हुई जिन्हें बाद में सत्यभामाबाई नाम से जाना गया। आप सभी को यह भी बता दें कि बाल गंगाधर तिलक एक उच्च कोटि के शिक्षक थे, देशवासियों को शिक्षित करने के लिये उन्होंने कई शिक्षा केंद्रों की स्थापना की। उस दौर में देश के लोगों में आजादी की अलख जगाने के लिए बाल गंगाधर तिलक ने ‘मराठा दर्पण’ और ‘केसरी’ नाम से दो मराठी अखबार निकाले जो बहुत लोकप्रिय हुए, जिनके पाठकों की संख्या बहुत थी।

जी हाँ और इन अखबारों में तिलक ने अंग्रेजों की क्रूरता और भारतीय संस्कृति के प्रति उनकी हीन भावना पर अपने विचार खुलकर व्यक्त किए। इसी के साथ उन्होंने ब्रिटिश वस्तुओं के बहिष्कार के लिए एक बड़ा देशव्यापी आंदोलन चलाया। आपको बता दें कि बाल गंगाधर तिलक अन्याय के घोर विरोधी थे और अंग्रेजों के खिलाफ अखबारों के जरिए आवाज उठाने के कारण उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा। बहुत कम लोग जानते हैं कि महाराष्ट्र में मनाए जाने वाले प्रसिद्ध गणपति उत्सव की शुरूआत में बाल गंगाधर तिलक ने अहम भूमिका निभाई। आज बालगंगाधर तिलक की एक दुर्लभ प्रतिमा विक्टोरिया गार्डन में देखी जा सकती है जिसे सरदार वल्लभ भाई पटेल ने बनवाया था। इसका उद्घाटन महात्मा गांधी ने किया था। आज बाल गंगाधर तिलक इस दुनिया में नहीं है लेकिन उनके योगदानों को हम भुला नहीं पाएंगे।

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