अपने ही खेमे में लंबे अरसे बाद बाबूलाल मरांडी ने वापसी की है. बाबूलाल मरांडी की वापसी के बाद कयास लगाए जा रहे है कि उन्हे विशेष कार्यभार दिया जा सकता है. लेकिन उनकी वापसी को लेकर भाजपा में विरोध देखने को मिल रहा है.मरांडी झाविमो का विलय भाजपा में करना चाहते हैैं और इसके लिए उन्होंने हेमंत सोरेन सरकार से समर्थन वापसी का मन बना लिया है. उनके इस कदम का झाविमो विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने कड़ा विरोध किया है. यादव का कहना है कि वे हेमंत सरकार को समर्थन जारी रखने के पक्ष में हैैं. दोनों नेताओं की अनबन से झाविमो के भीतर असहज स्थिति पैदा होती दिख रही है.
अपने बयान में झाविमो विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने कहा है कि वे हेमंत सोरेन के साथ हैं और रहेंगे. झाविमो ने हेमंत सरकार को बाहर से नहीं बल्कि भीतर से समर्थन दिया है. उन्होंने कहा कि झारखंड के झाविमो के ज्यादातर नेता भाजपा में शामिल होने के पक्षधर हो सकते हैं. पोड़ैयाहाट के अधिकतर कार्यकर्ता भाजपा में जाने के खिलाफ है. इसलिए वे भाजपा में नहीं जाएंगे. जहां है वही रहेंगे.
गुरुवार को प्रदीप यादव ने समर्थकों के साथ जन्मदिन मनाया. उन्होंने कहा कि झाविमो का भाजपा में विलय भी नहीं हो सकता. लोक प्रतिनिधित्व कानून की दसवीं अनुसूची में इसका प्रावधान नहीं है. बाबूलाल मरांडी का कदम भाजपा की ओर हो सकता है. गोड्डा के कार्यकर्ता इससे सहमत नहीं है. इसलिए वे जहां हैं, वही रहेंगे. प्रदीप यादव ने कहा, वे झारखंड के आदिवासी, दलित, पिछड़े व अल्पसंख्यकों के हक के लिए संघर्ष करते रहे हैं. भाजपा ने इन लोगों की अनदेखी की है. शोषित एवं वंचित समाज को हाशिये पर धकेला है, इसलिए भी भाजपा में नहीं जाना है.