कम उम्र में हुई थी बाबा साहेब की शादी, दूसरे विवाह के बाद जीवन में आया नया मोड़
कम उम्र में हुई थी बाबा साहेब की शादी, दूसरे विवाह के बाद जीवन में आया नया मोड़
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बाबा साहेब आंबेडकर की कम उम्र में ही शादी हो गई थी. उनकी पहली शादी 1906 में हुई थी. तब वे 15 साल के थे औऱ उनकी पहली पत्नी रमाबाई से हुई थी. शादी के बाद आंबेडकर की पढ़ाई जारी रही. बैरिस्टरी की पढाई करने के लिए वह इंग्लैंड चले गए. लौटकर दलितों के उत्थान में जोरशोर से जुड़ गए. पहली पत्नी से पांच बच्चे हुए. केवल बड़े बेटे य़शवंतराव ही लंबे समय जीवित रहे. बच्चे ज्यादा ज्यादा पढ़ भी नहीं सके थे. यशवंतराव भी केवल मैट्रिक तक ही शिक्षा पा सके थे. हालांकि बाद में यशवंत ने रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया बनाई. विधायक भी बने. बाबा साहेब अपने जीवन में काफी व्यस्त रहते थे. पारिवारिक जिम्मेदारियों की ओर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाते थे. लंबी बीमारी के बाद रमाबाई का 1935 में निधन हो गया. अगले 13 सालों तक बाबा साहेब ने विवाह के बारे में सोचा भी नहीं.

उसके बाद 1940 के दशक के आखिर में वह जब भारतीय संविधान को बनाने में व्यस्त थे तभी स्वास्थ्य की जटिलताएं उभरनी शुरू हुईं. रातों को उनको नींद नहीं आती थी. पैरों में न्यूरोपैथिक दर्द रहने लगा. इंसुलिन और होम्योपैथिक दवाएं किसी हद तक राहत दे पाती थीं. इलाज के लिए वह बंबई गए. डॉक्टरों ने सलाह दी कि उन्हें अब एक ऐसे साथी की भी जरूरत है, जो न केवल पाक कला में प्रवीण हो बल्कि मेडिकल ज्ञान वाला भी हो, ताकि उनकी देखभाल कर सके. इलाज के दौरान उनकी मुलाकात एक ब्राह्मण डॉक्टर शारदा कबीर से हुई. 

चूंकि डॉक्टर शारदा कबीर बेहद समर्पित तरीके से उनका इलाज कर रही थीं लिहाजा वो उनके करीब भी आ गए थे. नजदीकियां कुछ इस तरह बढ़ीं कि उन्होंने शारदा के सामने विवाह का प्रस्ताव रख दिया. वो जब मान गईं तो 1948 को दिल्ली स्थित आंबेडकर के आवास पर दोनों की शादी हुई. इसके बाद कई तरह की बातें और विवाद शुरू होने लगे. तमाम उनके बारें में बातें कहीं गईं. ब्राह्मणों ने आंबेडकर की दलित राजनीति और विचारधारा पर सवाल खड़े कर दिए. नाराज दलितों के एक वर्ग का कहना था कि इससे गलत तो कुछ हो ही नहीं सकता था. क्या बाबा साहेब को शादी के लिए एक ब्राह्मण स्त्री ही मिली थी. कुछ ने कहा कि ये ब्राह्मणों की साजिश है. कुछ ने उनकी खिल्ली भी उड़ाई. उनके बहुत से अनुयायियों का मानना था कि बाबा साहेब जो भी करते हैं, सोच समझ कर करते हैं. बाबा साहेब ज्यादा विचारवान और समझदार हैं, लिहाजा उन्होंने उचित ही किया होगा.

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