हम आपको बता दें बबूल ज्यादातर सूखे क्षेत्रों में पाया जाता है। इसे कीकर नाम से भी जाना जाता है। कीकर के पेड़ की सबसे बड़ी खासियत है कि इसके फूल बाद में फल नहीं बनते। गर्मी में इस पर फूल लगते हैं जो बरसात के मौसम में पूरी तरह से झड़ जाते हैं। बाद में सर्दियों में इस पर फलियां आती हैं। बबूल आयुर्वेद की एक महत्वपूर्ण औषधि है जो दांतों, आंखों और तमाम यौन रोगों के उपचार में काम आती है।
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इस तरह पहुंचाता है फायदा
जानकारी के अनुसार शारीरिक कमजोरी होने पर कीकर यानी कि बबूल की मुलायम कली को सुखाकर उसका पाउडर बना लें और सुबह शाम इसका सेवन करें। इससे हर तरह की कमजोरी, शारीरिक शिथिलता, यौन रोग, शीघ्रपतन आदि में लाभ होता है। मुंह में छाले पड़ जाने पर बबूल की पत्तियों को मुंह में लेकर अच्छी तरह से चबाएं। चबाने के बाद इसे मुंह में ही घुमाते रहें। इससे छाले तो ठीक होंगे ही साथ ही मसूढ़े भी मजबूत होते हैं।
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और भी है कई फायदे
इसी के साथ दांत संबंधी बीमारियों के लिए बबूल का दातुन चमत्कारिक रूप से फायदेमंद है। ग्रामीण इलाकों में आज भी बहुत से लोग सुबह ब्रश करने की बजाय बबूल के दातुन दातों को साफ करने के लिए इस्तेमाल करते हैं। इस दातुन से दातों की बीमारियां तो दूर होती ही हैं साथ ही साथ मसूढ़ों से खून आना, मसूढ़ों में सूजन आदि समस्याएं भी ठीक हो जाती हैं।
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