लखनऊ: समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता और मौजूद विधायक आजम खान ने एक बार फिर सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। दरअसल, सपा नेता ने ये कदम जौहर यूनिवर्सिटी परिसर में इमारतों के कुछ हिस्सों को ढहाए जाने की कार्रवाई की आशंका के चलते उठाया है। आजम खान ने अदालत में याचिका दाखिल करते हुए ऐसी किसी भी कार्रवाई पर रोक लगाने की गुहार लगाई है। आजम खान की तरफ से वकील निजाम पाशा ने याचिका दायर करते हुए वेकेशन बेंच से जल्द सुनवाई करने की अपील की है। वहीं, न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा है कि, याचिका लिस्ट कराने के लिए रजिस्ट्रार के समक्ष रखें।
आजम खान की याचिका में कहा गया है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा तय की गई जमानत शर्तो के अनुसार, यूनिवर्सिटी कैम्पस की लगभग 13 हेक्टेयर जमीन को जिला प्रशासन ने नियंत्रण में ले लिया है। मगर जमानत के समय ऐसी शर्त थोपना गलत है। इसके चलते प्रशासन अब कैंपस की दो इमारतों को गिराने की तैयारी में है। कभी भी बुलडोजर की कार्रवाई हो सकती है। लिहाजा शीर्ष अदालत जल्द इस मामले पर सुनवाई कर दखल दे।
बता दें कि आजम खान 20 मई को जेल से बाहर आ गए थे। वे 27 महीने से सीतापुर जेल में कैद थे। उन्हें शीर्ष अदालत ने अंतरिम जमानत दी है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि आजम खान की जमानत की शर्तें ट्रायल कोर्ट निर्धारित करेगा और सामान्य जमानत के लिए आजम को समुचित और सक्षम अदालत में दो सप्ताह के अंदर याचिका लगानी होगी। सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट कहा कि ट्रायल कोर्ट से रेगुलर बेल मिलने तक अंतरिम आदेश लागू रहेगा। वहीं, आजम खान सोमवार को लखनऊ पहुंचे। उन्होंने अपने बेटे अब्दुल्ला आजम के साथ MLA पद की शपथ ग्रहण की।
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