अयोध्या मामला: हिन्दू-मुस्लिम दोनों पक्षों ने SC में दाखिल किया 'मोल्डिंग ऑफ रिलीफ'
अयोध्या मामला: हिन्दू-मुस्लिम दोनों पक्षों ने SC में दाखिल किया 'मोल्डिंग ऑफ रिलीफ'
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नई दिल्ली: अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने अयोध्या भूमि विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मोल्डिंग ऑफ रिलीफ पर हलफनामा दायर कर दिया है। वहीं मुस्लिम पक्षकार ने भी मोल्डिंग ऑफ रिलीफ को दायर कर दिया है। दोनों पक्षकारों ने सीलबंद लिफाफे में नोट दायर किया है। हिंदू महासभा ने कोर्ट से मंदिर निर्माण और व्यवस्था के लिए ट्रस्ट बनाने की मांग की है। हिंदू महासभा का कहना है कि संपत्ति का प्रबंध किस तरह किया जाए इसे लेकर कोर्ट आदेश दे सकता है।

अयोध्या राम मंदिर और बाबरी मस्जिद मामले में 40 दिनों की सुनवाई के दौरान जिस शब्द ने सबका ध्यान आकर्षित किया था, वो था मोल्डिंग ऑफ रिलीफ। इसका प्रावधान सिविल सूट वाले प्रकरणों के लिए किया जाता है। शीर्ष अदालत आर्टिकल 142 और सीपीसी की धारा 151 के तहत इस अधिकार का उपयोग करता है। याचिकाकर्ता अदालत के पास अपनी मांग के साथ पहुंचता है और यदि वो मांग पूरी नहीं हो पाती तो वो कौन सा विकल्प है जो उसे दिया जा सकता है। 

अयोध्या मामले के परिपेक्ष्य में देखा जाए तो एक से ज्यादा दावेदारों के विवाद वाली जमीन का मालिकाना अधिकार किसी एक पक्ष को मिलेगा तो अन्य पक्षों इसके एवज में क्या मिलेगा। अदालत ने मोल्डिंग ऑफ रिलीफ पर सभी पक्षों को लिखित नोट देने के लिए तीन दिन का समय दिया था। हालांकि, अदालत को इस मामले में यह भी देखना होगा कि मोल्डिंग ऑफ रिलीफ सिद्धांत किस हद तक लागू किया जा सकता है। बेंच ने स्पष्ट कर दिया था कि अब कोई मौखिक बहस नहीं होगी।

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