अविधवा नवमी पर सुबह से हो रहा है श्राद्ध कर्म श्राद्ध पक्ष में श्रद्धालु अपने पितरों की शांति, तृप्ति के लिए श्राद्ध करते हैं। इस माध्यम से वे पितरों को प्रसन्न कर उनसे अपने सुखी जीवन का आशीर्वाद लेते हैं। श्रद्धालु अपने पितरों की तिथियों में उनका श्राद्ध कर्म करते हैं। श्राद्ध कर्म के दौरान वे पितरों के लिए बाह्मण भोजन, कौओं को ग्रास देना, गाय को भोजन देना आदि पुण्यकर्म करते हैं। अगल - अलग तिथियों के तहत शनिवार को नवमी तिथि का श्राद्धकर्म किया गया है। इस तिथि को अविधवा नवमी भी कहा जाता है। आमतौर पर इस तिथि को महाराष्ट्र राज्य में अविधवा नवमी के तौर पर जाना जाता है।
इस तिथि में ऐसी स्त्रियों का श्राद्ध कर्म किया जाता है जो सुहागन स्वरूप में मृत्यु को प्राप्त होती हैं अर्थात जिनकी मृत्यु उनके पति से पहले हो जाती है उनका श्राद्ध अविधवा नवमी के पहले किया जाता है। आज श्राद्ध कर्म के तहत ऐसी महिलाओं के लिए श्रद्धालुओं ने सौलह श्रृंगार की सामग्री का अर्पण किया।
ब्राह्ण भोजन और सीदा दान का कार्यक्रम भी हुआ। सीदा दान करने से भी श्रद्धालुओं को पुण्य मिलता है जिसमें कच्चा अनाज और सब्जी आदि ब्राह्मण को दान में दी जाती है। इसके साथ वस्त्र, दक्षिण आदि दान करने का विधान भी है। अविधवा नवमी पर श्रद्धालुओं द्वारा सुहागिनों के लिए भी कुछ सामग्री का दान किया जाता है। इस तिथि पर दान, तर्पण, श्राद्धकर्म कर श्रद्धालु पुण्य कमाते हैं।