नई दिल्ली: कोरोना वायरस महामारी से जूझने के छह माह बाद, भारत में भोपाल AIIMS के बाद गुजरात दूसरा केंद्र बन गया है, जहां कोरोना की चपेट में आकर जान गंवाने वाले का अध्ययन बेहतर तरीके से किया जा रहा है। यहां मृतक के शरीर पर अध्ययन किया जाता है ताकि यह पता लगाया जा सके कि आखिर यह खतरनाक वायरस मनुष्य के शरीर को कैसे तहस-नहस करते हैं। साथ ही प्रयास किया जा रहा है कि कोई ऐसा तरिका खोजा जाए, जिससे इस जानलेवा से हो रही मौतों के सिलसिले को रोका जा सके।
राजकोट सिविल अस्पताल से संबद्ध पीडीयू गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में अब तक पांच शवों का पोस्टमार्टम किया गया है। सभी पोस्टमार्टम में सबसे हैरान करने वाली जानकारी में से एक यह है कि कोरोना वायरस मनुष्य के स्पंजी फेफड़ों को इतना कठोर बना देता है - जैसे कि वे पत्थर से बने हों! इससे इंसान सांस नहीं ले पाता और उसकी मृत्यु हो जाती है। पीडीयू जीएमसी में फॉरेंसिक मेडिसिन के प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष डॉ. हेतल कयादा ने जानकारी देते हुए बताया है कि फॉरेंसिक मेडिसिन में उनके 13 वर्ष के करियर में, उन्होंने यह पहली दफा देखा है जब एक वायरल बीमारी ने फेफड़े को पत्थर के जैसे कठोर बना दिया है।
डॉ. क्यादा ने कहा कि, "फेफड़े स्पंजी अंग हैं। अगर इसे किसी सामान्य तस्वीर से समझा जाए, तो आप फेफड़ों की तुलना ब्रेड से कर सकते हैं, जिसे दबाए जाने पर भी वे नरम बने रहते हैं। फेफड़े के कैंसर, निमोनिया और टीबी के रोगियों के शव के पोस्टमार्टम में हम देखते हैं कि फेफड़ों सख्त हो जाते हैं, किन्तु कोरोना अभूतपूर्व नुकसान पहुंचाता है। जब आप कोरोना मरीज के फेफड़े को काटते हैं, तो ऐसा लगता है जैसे आप एक पत्थर को काट रहे हैं।"
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