गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के लिए शिक्षा तंत्र स्वायत्त आवश्यक
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रांची: कल शुक्रवार को मोरहाबादी में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के 63वें वार्षिक अधिवेशन का आयोजन किया गया. जिसमे पदाधिकारियों के साथ पृथक-पृथक राज्यों से पधारे प्रतिनिधि भी सम्मिलित रहें. इस अधिवेशन के आयोजन में आमंत्रित प्रतिनिधियों के समक्ष तीन प्रस्ताव रखे गए थे.

राष्ट्रीय मंत्री कुछराम ने जनजातीय समाज विकास के प्रति प्रतिबद्ध विषय पर चर्चा की. राष्ट्रीय महामंत्री आशीष चौहान ने शिक्षा क्षेत्र में सुधार के लिए सर्जिकल स्ट्राइक का प्रस्ताव रखा. राष्ट्रीय मंत्री किशोर वर्मन ने 'सेना के स्वयं से आंतरिक और बाह्य रूप से सुरक्षित होता भारत' विषय प्रतिनिधियों के समक्ष चर्चा के लिए रखा. इस समारोह में राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो मिलिंद मराठी 'शिक्षा परिवर्तन की कल्पनाएं' विषय पर बोल रहे थे.

प्रो मिलिंद ने बताया कि 'संगठन से शिक्षा की परिकल्पना को बढ़ाना होगा. परिवार में शिक्षा, परिवार से शिक्षा, पर काम किया जा सकता है. आज परिवार से शिक्षा कम हो रही है, इसे हमें बढ़ानी होगी. 21वीं सदी की शिक्षा बदल रही है. विद्यार्थियों में सेल्फ लर्निंग की क्षमता मर रही है'. उन्होंने कहा कि खेल, कला आदि को कोई भी अपना 100 फीसदी देता है. इसे सह-पाठ्यक्रम नहीं माना जा सकता है. इसे मेन स्ट्रीम में शामिल करना चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि शिक्षा समाज का भी दायित्व है. उन्होंने क्राउड फंडिंग पर भी जोर दिया. शिक्षा में शासन की मान्यता के बारे में विस्तार से बातें रखी.

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