साल 2024 का दूसरा और अंतिम चंद्र ग्रहण 18 सितंबर 2024 को लगेगा, जो भाद्रपद पूर्णिमा (Bhadrapada Purnima) के दिन पड़ेगा। इस दिन पितृपक्ष का पहला श्राद्ध (Shradh) भी रहेगा। ग्रहण और श्राद्ध दोनों के योग से यह दिन महत्वपूर्ण है, लेकिन धार्मिक दृष्टि से ग्रहण को शुभ नहीं माना जाता, इसलिए विशेष सावधानी बरतने की जरूरत होती है।
चंद्र ग्रहण 2024: तिथि और समय
तारीख: 18 सितंबर 2024 (बुधवार)
शुरुआत का समय: सुबह 06:11 बजे (भारतीय समयानुसार)
समाप्ति का समय: सुबह 10:17 बजे
यह आंशिक चंद्र ग्रहण होगा, लेकिन यह भारत में नहीं दिखेगा।
भारत में चंद्र ग्रहण का प्रभाव और सूतक काल
चूंकि यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए यहां सूतक काल मान्य नहीं होगा। सूतक काल वह समय होता है, जिसमें धार्मिक कार्यों पर प्रतिबंध होता है, लेकिन भारत में ग्रहण अदृश्य होने के कारण इस बार ऐसा नहीं होगा।
हालांकि, ग्रहण को कई अन्य देशों जैसे यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, उत्तरी और पश्चिमी अमेरिका में देखा जा सकेगा।
ग्रहण के दौरान किन कार्यों से बचें?
ज्योतिष के अनुसार, ग्रहण के समय राहु-केतु (Rahu-Ketu) का प्रभाव बढ़ जाता है, जो इसे अशुभ बनाता है। ग्रहण के दौरान निम्नलिखित कार्यों को करने से बचना चाहिए:
धार्मिक कार्य न करें: ग्रहण के समय पूजा, पाठ या देव प्रतिमा को स्पर्श करने से बचें।
तुलसी का स्पर्श न करें: तुलसी पूजन या तुलसी के पौधे को छूने से बचें।
भोजन न करें: ग्रहण काल में भोजन नहीं करना चाहिए।
सोना और बाहर जाने से बचें: ग्रहण के समय सोने और बाहर जाने से भी परहेज करें।
गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष सावधानियां
गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के समय विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस दौरान:
नुकीली चीजों का इस्तेमाल न करें।
सुनसान जगहों पर अकेले न जाएं।
श्राद्ध का महत्व और पितरों का तर्पण
ग्रहण के दिन पितृपक्ष का पहला श्राद्ध भी होगा, जोकि पितरों की आत्मा की शांति के लिए किया जाता है। यदि आप पिंडदान, तर्पण या श्राद्ध करना चाहते हैं, तो ग्रहण समाप्त होने के बाद ही इन कार्यों को करें।
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