टूटेगी ऐतिहासिक परंपरा, कामाख्या देवी के मंदिर में 500 सालों में पहली बार होगा ऐसा
टूटेगी ऐतिहासिक परंपरा, कामाख्या देवी के मंदिर में 500 सालों में पहली बार होगा ऐसा
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गुवाहाटीः कोरोना संकट ने इस समय सारी दुनिया को अस्त-व्यस्त कर रखा है. ऐसे में प्रत्येक क्षेत्र के कार्यों में अभी रुकावट है. धार्मिक अनुष्ठान के क्षेत्र में भी यही स्थिति है. फिर भी लॉकडाउन के बाद अनलॉक की तरफ बढ़ते देश में धीरे-धीरे सार्वजनिक स्थल खोले जा रहे हैं. धार्मिक स्थल भी दर्शन के लिए तैयार हैं. किन्तु भीड़ जुटाना व सामूहिक कार्यक्रम अभी भी वर्जित है. ऐसे में असम का एक ऐतिहासिक मंदिर इस बार नया इतिहास लिखने जा रहा है. 

जानकारी के अनुसार, लॉकडाउन की वजह से असम के शक्तिपीठ कामाख्या मंदिर का मशहूर अंबुवाची मेला इस साल नहीं लगेगा. यह इसिलए भी अहम हो जाता है कि पिछले तक़रीबन 500 वर्षों में पहली दफा ऐसा हो रहा है, जब मंदिर के सबसे बड़े पर्व में कोई बाहरी साधक हिस्सा नहीं लेगा. यह उत्सव मेला 22 से 26 जून के बीच लगता है, जिसमें पूरी दुनिया से तंत्र साधक, नागा साधु, अघोरी, तांत्रिक और शक्ति साधक शामिल होते हैं. कोरोना वायरस के चलते इस पर्व की परंपराओं को मंदिर परिसर में कुछ लोगों की मौजूदगी में पूरा किया जाएगा. 

गुवाहाटी प्रशासन ने मंदिर के आसपास स्थित होटलों, धर्मशालाओं और गेस्ट हाउस को भी सलाह दी है कि फिलहाल वे कोई बुकिंग ना लें. अंबुवाची मेला कामाख्या मंदिर का सबसे बड़ा उत्सव माना जाता है. यहां आदिशक्ति की पूजा योनि रूप में होती है, माना जाता है अंबुवाची उत्सव के दौरान माता रजस्वला होती हैं, प्रति वर्ष 22 से 25 जून तक इसके लिए मंदिर के पट बंद रखे जाते हैं. 26 जून को शुद्धिकरण के बाद दर्शन के लिए खोला जाता है. 

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