गुवाहाटी: असम के डारंग जिले में एक सरकारी अस्पताल की बड़ी लापरवाही प्रकाश में आई है. जहां पर अस्पताल प्रशासन ने स्वस्थ हुए मरीज की जगह कोरोना वायरस के पेशेंट को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया. जानकारी के अनुसार, यह गलती मिलते-जुलते नाम के कारण हुई है. अस्पताल प्रशासन की इस गलती के कारण लोगों के बीच डर का माहौल बन गया है. जिला प्राशसन ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए मजिस्ट्रेट जांच के आदेश जारी कर दिए गए हैं.
दरअसल, असम सरकार ने मंगलदोई सिविल अस्पताल में भर्ती 14 मरीजों को अस्पताल से डिस्चार्ज करने की इजाजत दी गई थी, जिसके बाद मंगलदोई सिविल अस्पताल में भर्ती हॉस्पिटल स्टाफ ने ठीक हो चुके मरीजों की सूची, मरीजों के सामने पढ़कर सुनाई. स्टाफ ने जब लिस्ट से हामिद अली का नाम पढ़ा तो हनीफ अली नाम के व्यक्ति ने हां में जवाब दिया. इस दौरान हामिद अली वहीं चुप बैठा रहा.
हामिद अली का पांच जून से मंगलदोई सिविल अस्पताल में उपचार चल रहा था. अली प्रवासी श्रमिक हैं. जबकि हनीफ अली, तीन जून से हॉस्पिटल में एडमिट हैं. अब तक उनकी कोरोना रिपोर्ट निगेटिव नहीं आई है. प्रबंधन ने बुधवार को पांच लोगों को अस्पताल से छोड़ा था. इस दौरान वहां पर स्थानीय MLA गुरुज्योति दास, डारंग जिले के डिप्टी कमिश्नर दिलीप कुमार बोराह और एसपी अमृत भुयान भी मौके पर उपस्थित थे. एक वरिष्ठ डॉक्टर ने इस घटना को लेकर कहा कि दोनों का नाम सुनने में एक जैसा लगता है, इसलिए भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई. हमने हामिद की जगह हनीफ को छुट्टी दे दी.
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