40 के दशक में भारतीय सिनेमा के किरदारों पर जब नाट्य मंच का प्रभाव अधिक था, उस समय अशोक कुमार ने इस रिवायत को बदलकर हिंदी सिनेमा में अभिनय की नई परिभाषा गढ़ी. सहज, स्वभाविक अभिनय के साथ पर्दे पर उतरे अशोक कुमार को लोगों ने पलकों पर बिठा लिया. 13 अक्टूबर 1911 को आज ही के दिन जन्मे अशोक कुमार का जन्म बिहार के भागलपुर में एक मध्यम वर्गीय बंगाली परिवार में हुआ था.
अशोक कुमार को लेकर एक बेहद दिलचस्प किस्सा रणबीर कपूर के दादा यानि कि राज कपूर की शादी से जुड़ा है. अशोक कुमार की लोकप्रियता का आलम यह था कि उनकी एक झलक पाने को राज कपूर की पत्नी ने अपना घूंघट हटा लिया था. दरअसल राज कपूर की जब शादी थी, उस समय वे बड़े सितारे नहीं थी. तभी किसी ने चिल्लाकर कहा कि अशोक कुमार आए हैं. दुल्हन यानी कि राज कपूर की पत्नी ने सुना तो तुरंत अपना घूंघट हटा लिया.
इस बात से राज कपूर अपनी पत्नी से कई दिनों तक खफा रहे थे कि अशोक कुमार का नाम सुना और घूंघट हटा लिया. हिन्दी फिल्मों के शुरुआती दौर में जब अभिनय शैली में पारसी थियेटर का प्रभाव था, उस दौर में अशोक कुमार ऐसे नायक के रूप में सामने आए जिन्होंने अभिनय में सहजता और स्वाभाविकता पर जोर दिया और स्टारडम को नया रूप देते हुए कई सामाजिक एवं मनोरंजक फिल्मों से सिनेप्रेमियों का मन मोह लिया. अशोक कुमार के भाई किशोरे कुमार हिंदी फिल्म जगत के एक प्रसिद्ध सिंगर और अभिनेता थे.