इन साहसिक फैसलों के लिए हमेशा याद किए जाएंगे पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली
इन साहसिक फैसलों के लिए हमेशा याद किए जाएंगे पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली
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नई दिल्लीः भाजपा के वरिष्ठ नेता और मोदी सरकार के पहले टर्म में वित्त मंत्री रह चुके अरूण जेटली लंबी बीमारी के बाद आज यानि शनिवार को एम्स में अंतिम सांस ली। पेशे से वकील रह चुके इस दिग्गज नेता को वित्त मंत्री के दौरान अपने कड़े फैसले के लिए जाना जाएगा। उन्होंने वित्तीय तौर पर देश में कालेधन, भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए यह जेटली की पहल थी, कि सरकार इतने कठिन फैसले ले सकी।

नोटबंदी, जीएसटी, डिजिटल ट्रांजेक्शन, एसबीआई और बैंक ऑफ बड़ौदा में कई बैंकों का विलय आदि कुछ ऐसे फैसले थे, जिनको लेने के लिए एक मजबूत इच्छाशक्ति होने की जरूरत चाहिए होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि इनका असर सीधे तौर पर देश के प्रत्येक व्यक्ति पर पड़ा था। जेटली राज्यसभा से सांसद थे। अपनी खराब स्वास्थय के कारण वह राजनीति से दूर थे।

नोटबंदी

8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री मोदी ने चलन में मौजूद 500 और एक हजार रुपये के नोट को बंद कर दिया था। सरकार के इस अभूतपूर्व कदम की जानकारी पीएम के अलावा केवल जेटली और कुछ चुनिंदा लोगों को ही थी। नोटबंदी करने का फैसला लेने में जेटली की अहम भूमिका रही थी। 500 और 1000 रुपये के नोटों के बंद होने के दस दिन बाद वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार के इस फैसले की वजह से अब बैंक सस्ते दर पर कर्ज दे सकेंगे। साथ ही समानांतर अर्थव्यवस्था से मुक्ति मिलेगी।

डिजीटल इंडिया

नोटबंदी के बाद देश भर में डिजिटल बैंकिंग को बढ़ाने का श्रेय भी जेटली को जाता है। डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, मोबाइल वॉलेट, पीओएस मशीन, यूपीआई भीम ऐप जैसी सेवाओं को पूरे देश में शुरू करवाया गया था। इसके चलते नगद ट्रांजेक्शन में काफी कमी देखने को मिली और अब लोग इनका अधिक संख्या में प्रयोग करने लगे हैं।

जीएसटी

एक जुलाई 2017 को आधी रात से देश भर में जीएसटी लागू हो गया था। इस दिन से देश भर में चल रहे 17 टैक्स और 26 सेस खत्म हो गए थे। जीएसटी काउंसिल ने देश भर में पांच स्लैब लगाए थे, जिनके हिसाब से ही लोगों को टैक्स देना शुरू किया था। केवल पेट्रोल-डीजल, तंबाकू उत्पाद, शराब, रसोई गैस सिलेंडर जैसी वस्तुओं को छोड़कर के बाकी सभी को इसके दायरे में लाया गया था।

बैंकों का विलय

जेटली की अध्यक्षता में ही एसबीआई में सहयोगी बैंकों और भारतीय महिला बैंक का विलय हुआ था। इसके बाद बैंक ऑफ बड़ौदा में देना बैंक और विजया बैंक का विलय किया गया था। जेटली ने सरकार के संकटमोचक के रूप में अपनी भूमिका निभायी है।

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