जानिए क्यों मनाया जाता है वर्ल्ड रेबीज डे, क्या है इसका इतिहास
जानिए क्यों मनाया जाता है वर्ल्ड रेबीज डे, क्या है इसका इतिहास
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रेबीज एक वायरस जनित रोग है। यह वायरस बेहद ही घातक होता है लेकिन यह पूरी तरह से रोकथाम योग्य है। जिसके बाद विश्व में अफ्रीका और एशिया के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले 90 फीसद बच्चों की मृत्यु के साथ प्रत्येक वर्ष रेबीज से अनुमानित 59000 से अधिक लोगों की मौत हो जाती है। भारत में रेबीज एक बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है, जिससे हर साल अनुमानित 20,000 से अधिक लोग अपनी जान से हाथ धो देते है।

यह जानवरों से मनुष्यों में फैलता है तथा मनुष्यों के लगभग 99 फीसद मामलों में कारण कुत्ते की लार और काटना शामिल होता है। मनुष्य के शरीर में रेबीज़ का वायरस, रेबीज़ से पीड़ित जानवर के काटने, उससे होने वाले घाव और खरोंच एवं लार के माध्यम से प्रवेश कर जाता है। कुत्ते के काटने के बाद रेबीज के लक्षण एक से 3 माह में दिखाई देते हैं। बच्चे अपने चंचल स्वभाव की वजह से कुत्ते के काटने और रेबीज़ के प्रति अतिसंवेदनशील कहे जाते है, क्योंकि वे प्राय: कुत्ते के काटने और रोग के बारे में जागरूकता के बिना कुत्तों के साथ खेलने लगते है। बच्चे प्राय: डांट के डर से बचने के लिए माता-पिता से कुत्ते के द्वारा काटे गए या घाव की बातें छुपा लेते है। कभी-कभी बच्चा कुत्तों के हमला किए जाने पर काटने/खरोंच से अवगत नहीं होता है तथा माता-पिता हमेशा हमले को अनदेखा करते हैं या गर्म मिर्च या हल्दी जैसे घरेलू उत्पादों लगाकर घाव का इलाज़ करते हैं।

क्यों मनाया जाता है रेबीज डे- विश्व रेबीज डे रेबीज की रोकथाम के बारे में जागरूकता को फैलाने के लिए हर साल आज ही के दिन यानी 28 सितंबर को मनाया जाता है। यह दिवस फ्रांस के प्रसिद्ध रसायनज्ञ और सूक्ष्म जीव विज्ञानी लुई पाश्चर की पूण्यतिथि के अवसर पर मनाया जाता है, जिन्होंने पहला रेबीज टीका विकसित किया था तथा रेबीज रोकथाम की नींव को बढ़ावा देने का काम किया।  यह समुदायों, व्यक्तियों, गैर सरकारी संगठनों और सरकारों को एकीकृत करने तथा अपने कार्यों को साझा करने का मौका है। हर साल विश्व रेबीज डे के लिए अलग विषय चयन किया जाता है। यह विषय रेबीज रोकने के लिए शिक्षा और जागरूकता के महत्व को सबके समक्ष लाना है`। कोई भी व्यक्ति अलग-अलग स्तरों पर रेबीज़ की जानकारी शेयर कर सकता है जैसे कि नीति-स्तर पर "वर्ष 2030 तक रेबीज से शून्य मानव मृत्यु" का लक्ष्य प्राप्त करना है तथा समुदायिक स्तर पर जानकारी जैसे कि घावों का इलाज, (कुत्ते के काटने के मामले में घाव और पोस्ट एक्सपोजर टीकाकरण देखभाल) और स्कूली बच्चों के लिए कुत्ते के काटने से बचाव की शिक्षा देकर रेबीज़ से बचाव किया जा सकता है।

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