आज भी रहस्य है 'शास्त्री जी' की मौत, आखिर तत्कालीन सरकार ने क्यों नहीं करवाया पोस्टमार्टम ?
आज भी रहस्य है 'शास्त्री जी' की मौत, आखिर तत्कालीन सरकार ने क्यों नहीं करवाया पोस्टमार्टम ?
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भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मौत आज 55 साल बाद भी रहस्य बनी हुई है। 11 जनवरी, 1966 को ताशकंद में लाल बहादुर शास्त्री की संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो गई थी। ये बात आज तक कोई नहीं जानता कि ताशकंद में उस रात ऐसा क्या हुआ था कि अचानक शास्त्री की मौत हो गई। बता दें कि वर्ष 1965 में हुए भारत-पाक युद्ध के बाद ताशकंद में दोनों देशों के बीच समझौता हो रहा था। 10 जनवरी, 1966 को ताशकंद में पाकिस्तान के साथ शांति समझौते पर अनुबंध के मात्र 12 घंटे बाद 11 जनवरी के तड़के उनकी अचानक उनकी मौत हो गई थी।

आधिकारिक रूप से कहा जाता है कि उनकी मौत हार्ट अटैक के कारण हुई, लेकिन इसका कोई पुख्ता प्रमाण नहीं मिलता। बता दें कि 1965 में भारत-पाकिस्तान के बीच अप्रैल से 23 सितंबर के बीच 6 माह तक भीषण युद्ध चला था। युद्ध खत्म होने के 4 माह बाद जनवरी, 1966 में भारत-पाकिस्तान के शीर्ष नेता तब के रूसी क्षेत्र में आने वाले ताशकंद में शांति समझौते के लिए एकत्रित हुए थे। पाकिस्तान की तरफ से राष्ट्रपति अयूब खान वहां पहुंचे थे। जबकि भारत की ओर से तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ताशकंद पहुंचे थे। 10 जनवरी को दोनों देशों के बीच शांति समझौते पर हस्ताक्षर हो गए थे। ताशकंद में भारत-पाकिस्तान समझौते पर दस्तखत करने के बाद शास्त्री पर काफी दबाव था। पाकिस्तान को हाजी पीर और ठिथवाल वापस देने की वजह से शास्त्री की भारत में काफी आलोचना हो रही थी, यहाँ तक कि उनकी पत्नी भी इस फैसले को लेकर नाराज़ थीं।

शास्त्री जी के साथ उनके सूचना अधिकारी कुलदीप नैय्यर भी ताशकंद गए थे। नैय्यर ने एक इंटरव्यू में बताया था, "उस रात लाल बहादुर शास्त्री ने घर पर फ़ोन किया था। जैसे ही फोन उठा, उन्होंने कहा अम्मा को फोन दो। उनकी बड़ी बेटी फोन पर आई और बोलीं अम्मा फोन पर नहीं आएंगी। उन्होंने पूछा क्यों? जवाब मिला, इसलिए क्योंकि आपने हाजी पीर और ठिथवाल पाकिस्तान को दे दिया। वो इस बात से काफी नाराज हैं। शास्त्री जी को इससे काफी धक्का लगा। कहते हैं इसके बाद वो कमरे में चक्कर लगाते रहे। फिर उन्होंने अपने सचिव वैंकटरमन को फोन कर हिंदुस्तान से आ रही प्रतिक्रियाएं जाननी चाहीं। वैंकटरमन ने उन्हें बताया कि तब तक दो बयान आए थे, एक अटल बिहारी वाजपेई का था और दूसरा कृष्ण मेनन का और दोनों ने ही शस्त्री जी के इस निर्णय की आलोचना की थी।"

समझौते पर दस्तखत करने के 12 घंटे के अंदर उनकी अचानक मौत हो गई। क्या उनकी मौत सामान्य थी या फिर उनकी हत्या की गई थी। कहा जाता है कि समझौते के बाद कई लोगों ने शास्त्री को अपने कमरे में चिंतित हालत में टहलते देखा था। बता दें कि, तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने लाल बहादुर शास्त्री के शव का पोस्टमार्टम भी नहीं कराया था। कहा जाता है कि यदि उस वक़्त पोस्टमार्टम करा लिया जाता, तो उनकी मौत का असली कारण सामने आ सकता था। एक प्रधानमंत्री की अचानक मृत्यु हो जाने के बाद भी उनके शव का पोस्टमार्टम नहीं कराया जाना, हमेशा से ही देश की सबसे पुरानी राजनितिक पार्टी पर ऊँगली उठाता रहा है। शास्त्री जी के निधन के कुछ समय बाद ही इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री बन गईं थीं, इसलिए कई लोग शास्त्री जी की मौत को कुर्सी हथियाने की साजिश के तौर पर भी देखते हैं   

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