क्रांतिकारियों के प्रेरणा स्त्रोत थे श्यामजी कृष्ण वर्मा...
क्रांतिकारियों के प्रेरणा स्त्रोत थे श्यामजी कृष्ण वर्मा...
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अपनी क्रान्तिकारी गतिविधियों के द्वारा से श्यामजी कृष्ण वर्मा ने भारत की स्वंत्रता के संकल्प को गतिशील कर दिया था.जिसके अतिरिक्त कई क्रान्तिकारियों के प्रेरणास्रोत बने. वे पहले भारतीय थे, जिन्हें ऑक्सफोर्ड से M॰A॰ और बार-ऐट-ला की डिग्रीयां भी अपने नाम कर ली थी. पुणे में दिये गये उनके संस्कृत के भाषण से प्रभावित होकर मोनियर विलियम्स ने वर्माजी को ऑक्सफोर्ड में संस्कृत का सहायक प्रोफेसर के रूप में अपनी पहचान बनाई थी. हम बता दें कि आज श्यामजी कृष्ण वर्मा की 164 वीं जयंती है.

इस महान व्यक्ति का जन्म 4 अक्टूबर 1857 को गुजरात प्रान्त के माण्डवी कस्बे में हुआ था. वर्तमान में यह कस्बा अब मांडवी लोकसभा क्षेत्र में आता है. उन्होंने 1888 में अजमेर में वकालत के बीच स्वराज के लिये कार्य को पूरा करना शुरू कर दिया. मध्यप्रदेश के रतलाम और गुजरात के जूनागढ़ में दीवान रहकर उन्होंने जनहित के कई कार्य किए. मात्र 20 साल  की उम्र से ही उन्होने क्रान्तिकारी गतिविधियों में भाग लेना प्रांरभ कर दिया था.

जिसके उपरांत वह 1897 में पुनः इंग्लैण्ड गये. 1905 में लॉर्ड कर्जन की ज्यादतियों के विरुद्ध संघर्षरत रहे. इसी वर्ष इंग्लैण्ड से मासिक समाचार-पत्र "द इण्डियन सोशियोलोजिस्ट" की शुरुआत की, जिसे आगे चलकर जिनेवा से भी प्रकाशित कर दिया गया था. इंग्लैण्ड में रहकर उन्होंने इंडिया हाउस की स्थापना की. हिन्दुस्तान से वापस आने के उपरांत 1905 में उन्होंने क्रान्तिकारी छात्रों को लेकर इण्डियन होम रूल सोसायटी को स्थापित कर दिया था.

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