भारत का वो महान वैज्ञानिक, जिनकी प्रतिभा के कायल थे अल्बर्ट आइंस्टीन
भारत का वो महान वैज्ञानिक, जिनकी प्रतिभा के कायल थे अल्बर्ट आइंस्टीन
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नई दिल्ली: आज महान भौतिक विज्ञानी और पद्मविभूषण से सम्मानित सत्येंद्रनाथ बोस की पुण्यतिथि है। सत्येंद्र नाथ बोस ने महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन के साथ मिलकर बोस -आइंस्टाइन थ्योरी दी थी। बोस ने एक सब एटॉमिक पार्टिकल की खोज की थी, जिसका नाम बोस को सम्‍मान देने के लिए बोसॉन रखा गया। 1 जनवरी 1894 को कोलकाता में जन्‍मे सत्‍येंद्र नाथ बोस को 1920 के दशक में क्‍वॉन्‍टम फिजिक्‍स में किए गए उनके कार्य के लिए पूरे विश्व जाना जाता है।

सत्‍येंद्र नाथ के पिता सुरेंद्रनाथ बोस ईस्‍ट इंडियन रेलवे कंपनी के इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में कार्य करते थे। सत्‍येंद्र नाथ उनकी सात संतानों में सबसे बड़े थे। इनकी प्रारंभिक पढ़ाई नदिया जिले के बाड़ा जगुलिया गांव में हुई। उन्‍होंने कोलकाता के प्रेजिडेंसी कॉलेज से इंटर किया, जहां जगदीश चंद्र बोस और प्रफुल्‍ल चंद्र रे जैसे विद्वानों ने उन्‍हें शिक्षा दी। सत्‍येंद्र नाथ ने 1915 में अप्‍लाइड मैथ्‍स से MSc की पढ़ाई पूरी की। उन्‍होंने MSc में टॉप किया था, कहा जाता है कि वह रिकॉर्ड नंबरों से उत्तीर्ण हुए थे। यह रिकॉर्ड आज भी कायम है। 1924 में ढाका यूनिवर्सिटी में फिजिक्‍स डिपार्टमेंट में रीडर के रूप में उन्‍होंने क्‍वॉन्‍टम स्‍टेटिक्‍स पर एक पेपर लिखा और इसे मशहूर वैज्ञानिक अल्‍बर्ट आइंस्टाइन के पास भेजा। आइंस्‍टाइन इससे काफी प्रभावित हुए और इसका जर्मन में अनुवाद करके उसे एक जर्मन साइंस जर्नल में प्रकाशित होने भेजा। इसी पहचान के आधार पर सत्‍येंद्र नाथ को यूरोप की साइंस लैब में काम करने का अवसर मिला।

1937 में महान कवि रबिंद्रनाथ टैगोर ने साइंस पर लिखी अपनी पुस्तक 'विश्‍व परिचय' सत्‍येंद्र नाथ बोस को समर्पित की थी। भारत सरकार ने बोस को देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्‍मान पद्मविभूषण से 1954 में नवाज़ा था। बोस का निधन 1974 में हुआ। उनकी विद्वता की चर्चा के अलावा उन्‍हें इस बात के लिए भी याद किया जाता है कि उन्‍हें उनके अनुरूप सम्‍मान नहीं मिला। उनके द्वारा खोजे गए पार्टिकल बोसॉन पर कार्य करने के लिए कई वैज्ञानिकों को नोबेल दिया गया है, पर खुद सत्‍येंद्र नाथ बोस को इसके लिए नोबेल पुरस्‍कार नहीं दिया गया।

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