नरसिम्हा राव को पीएम पद से क्यों हटाना चाहती थीं सोनिया गांधी ?
नरसिम्हा राव को पीएम पद से क्यों हटाना चाहती थीं सोनिया गांधी ?
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नई दिल्ली: आज देश के पूर्व पीएम और दिग्गज कांग्रेसी नेता रहे नरसिम्हा राव की पुण्यतिथि है। उन्होंने अपने राजनीतिक अनुभवों के आधार पर एक किताब इनसाइडर लिखी थी। भारतीय राजनीति का चाणक्य कहे जाने वाले नरसिम्हा राव ने इस किताब में कई सनसनीखेज खुलासे किए थे। इस किताब से यह भी पता चलता है कि राजनीति में जहां उनके कई शुभचिंतक थे, तो वहीं कई धुर विरोधी भी थे। वो इस किताब की अगली कड़ी भी लिख रहे थे, लेकिन इसी दौरान उनकी मौत हो गई।

इस किताब में इंदिरा गांधी की हत्या होने के बाद उपजे हालातों से लेकर राजीव गांधी व सोनिया गांधी के साथ उनके बनते बिगड़ते रिश्ते और बाबरी मस्जिद विध्वंस का भी जिक्र किया गया है। किताब के अनुसार, 1993 के बाद सोनिया और राव के रिश्तों में खटास आ गई थी। राव को लगने लगा था कि सोनिया उन्हें पीएम के पद से हटाना चाहती है। 1993 के बाद सोनिया गांधी ने अर्जुन सिंह और एन डी तिवारी पर ज्यादा भरोसा करना शुरू कर दिया था। किताब में इस बात का जिक्र किया गया है कि सोनिया गांधी को नरसिम्हा राव ने हाशिए पर रखने की कोशिश कर रहे थे। 1984 में जब राजीव गांधी की सरकार में राव गृह मंत्री थे, तब दिल्ली की सड़कों पर सिखों का कत्ल किया जा रहा था। किताब के अनुसार, कांग्रेस के एक नेता ने राव को बताया कि दिल्ली पुलिस के कमिश्नर से लेकर एसएचओ तक अब सीधे पीएमओ को रिपोर्ट करेंगे।

किताब के मुताबिक राव पर ये आरोप है कि वे सिख विरोधी हिंसा को रोकने की जगह विदेशी मेहमानों के आवभगत में लगे रहे। उन्होंने संविधान की जगह अपनी पार्टी के आवाज को तवज्जों दी। 1992 में जब बाबरी मस्जिद को गिराया गया था, तब राव सभी परेशानियों का सामना करने के बाद मजबूत स्थिति में आ गए थे। मस्जिद गिराए जाने के एक दिन बाद ही उन्होने कहा था कि वो मस्जिद को दोबारा बनवाएंगे, जिसका कैबिनेट के कई सदस्यों ने विरोध भी किया था। राव के अप्वाइंटमेंट डायरी से पता चलता है कि बाबरी मस्जिद को गिराने के दिन एस्ट्रोलॉजर एन के शर्मा मौजूद थे। राव ने कैबिनेट मीटिंग बुलाने में देरी की उसके पीछे वजह ये नहीं थी कि कारसेवकों को उनके काम से रोका जाए बल्कि वो कल्याण सिंह सरकार की बर्खास्तगी में अपने धुर विरोधी अर्जुन सिंह को भागीदार बनाना चाहते थे। किताब में इस बात का भी जिक्र था कि वो कांग्रेस के पहले गैर गांधी पीएम थे।

उन्होने बार-बार कोशिश की कि वो कांग्रेस के प्रभाव से बाहर निकले, लेकिन ये हो न सका। पीएम पद से हटाए जाने के बाद कांग्रेस ने राव को अकेला कर दिया। केवल मनमोहन सिंह ही ऐसे व्यक्ति थे, जो नरसिम्हा राव का आदर करते थे।

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