JRD टाटा: देश के प्रथम लाइसेंसी पायलट और 'भारत रत्न' से सम्मानित महान शख्सियत
JRD टाटा: देश के प्रथम लाइसेंसी पायलट और 'भारत रत्न' से सम्मानित महान शख्सियत
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नई दिल्ली: जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा को JRD टाटा के नाम से भी जाना जाता है। आज इस महान शख्सियत की पुण्यतिथि है। भारत के प्रथम लाइसेंसी पायलट और देश में सबसे पहली कमर्शियल एयरलाइन की नींव रखने वाले उद्योगपति दशकों तक टाटा ग्रुप के डायरेक्टर रहे। इन्होंने इस्पात, इंजीनियरिंग, होटल, वायुयान और अन्य उद्योगों का भारत में विकास किया। उन्हें साल 1957 में पद्म विभूषण और 1992 में भारत रत्न से नवाज़ा गया था।  

JRD टाटा का जन्म 29 जुलाई, 1904 को फ्रांस के पेरिस में हुआ था। वे अपने पिता रतनजी दादाभाई टाटा व माता सुजैन ब्रियरे की दूसरी संतान थे। उनके पिता रतनजी देश के अग्रणी उद्योगपति जमशेदजी टाटा के चचेरे भाई थे। उनकी मां फ़्रांसीसी थीं इसलिए उनका अधिकतर बचपन फ्रांस में ही गुजरा, और फ्रेंच उनकी पहली भाषा बन गई। उन्होंने कैथेडरल और जॉन कोनोन स्कूल मुंबई से अपनी शुरूआती शिक्षा ग्रहण की और उसके बाद इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए ‘कैंब्रिज यूनिवर्सिटी’ चले गए। उन्होंने फ्रांसीसी सेना में एक साल का अनिवार्य सैन्य प्रशिक्षण भी हासिल किया और आर्मी में कार्य करते रहना चाहते थे, लेकिन, उनके पिता की इच्छा कुछ और थी इसलिए उन्हें आर्मी छोड़ना पड़ी।

JRD टाटा ने 1925 में बतौर इंटर्न टाटा एंड संस में कार्य आरंभ किया। कड़ी मेहनत, दूरदृष्टि और लगन से 1938 में भारत के सबसे बड़े औद्योगिक समूह टाटा एंड के प्रमुख बन गए। उन्होंने 14 उद्योगों के साथ समूह के नेतृत्व का आगाज़ किया था और जब 26 जुलाई 1988 को उन्होंने अध्यक्ष पद छोड़ा तब तक टाटा समूह 95 उद्यमों का एक विशाल समूह बन चुका था। वे 50 साल से ज्यादा समय तक ‘सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट’ के ट्रस्टी रहे और अपने मार्गदर्शन में राष्ट्रीय महत्व के कई संस्थानों की स्थापना की। इनमे प्रमुख हैं टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान (TISS), टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान (TIFR), टाटा मेमोरियल सेंटर (एशिया का पहला कैंसर अस्पताल) और प्रदर्शन कला के लिए राष्ट्रीय केंद्र। इनकी अगुवाई में 1945 में टाटा मोटर्स की स्थापना हुई और 1948 में भारत की पहली अंतरराष्ट्रीय एयरलाइन के तौर पर ‘एयर इंडिया इंटरनेशनल’ का आगाज़ किया। भारत सरकार ने सन 1953 में उन्हें एयर इंडिया का अध्यक्ष और इंडियन एयरलाइंस के बोर्ड का डायरेक्टर नियुक्त किया। वे इस पद पर अगले 25 वर्षों तक बने रहे।

इंडियन एयरफोर्स ने JRD टाटा को ग्रुप कैप्टन के मानद पद से सम्मानित किया और बाद में उन्हें एयर कमोडोर के पद पर प्रमोट किया और फिर 1 अप्रैल 19 74 को एयर वाइस मार्शल पद से नवाज़ा। विमानन के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए उनको कई पुरस्कार प्रदान किए गए, जिसमे टोनी जेनस पुरस्कार (1979), फेडरेशन ऐरोनॉटिक इंटरनेशनल द्वारा गोल्ड एयर पदक (1985), कनाडा स्थित अंतर्राष्ट्रीय नागर विमानन संगठन द्वारा एडवर्ड वार्नर पुरस्कार (1986) और डैनियल गुग्नेइनिम अवार्ड (1988) जैसे पुरस्कार शामिल हैं। भारत सरकार ने भी JRD टाटा को पद्म विभूषण और सन 1992 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, ‘भारत रत्न’ से नवाज़ा है।

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