अरविन्द त्रिवेदी ने निभाया था रावण का कालजयी किरदार, उनकी पुण्यतिथि पर पड़ें रोचक किस्सा
अरविन्द त्रिवेदी ने निभाया था रावण का कालजयी किरदार, उनकी पुण्यतिथि पर पड़ें रोचक किस्सा
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नई दिल्ली: इन दिनों बाहुबली फेम एक्टर प्रभास की फिल्म आदिपुरुष को जमकर ट्रोल किया जा रहा है, वजह है मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम पर आधारित इस फिल्म के किरदार, जो कहीं भी अपनी भूमिका से न्याय करते नज़र नहीं आ रहे हैं। फिल्म में सबसे अधिक आलोचना सैफ अली खान की हो रही है, जिन्होंने रावण का किरदार निभाया है। सोशल मीडिया पर लोगों का कहना है कि, सैफ रावण कम और किसी मुग़ल आक्रांता कि तरह अधिक लग रहे हैं। सैफ के किरदार की तुलना दूरदर्शन पर रामानंद सागर के 80 के दशक के मशहूर सीरियल 'रामायण' में रावण की दमदार भूमिका निभाने वाले अरविन्द त्रिवेदी से कर रहे हैं। 

उस सीरियल में अरविन्द त्रिवेदी ने अपने अभिनय से रावण के किरदार में जो जान फूंकी थी, वो आज भी लोगों के जेहन में ताजा है। संयोग से आज अरविन्द त्रिवेदी की पुण्यतिथि भी है। ऐसे में आइए जानते हैं उनके जीवन और उनके द्वारा निभाए गए रावण के किरदार से जुड़ा एक अहम किस्सा। बता दें कि उस दौर में एक तरफ जहां लोग रामानंद सागर के 'रामायण' में राम का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल को में भगवान की तरह पूजते थे, तो वहीं लंकापति रावण का किरदार निभाने वाले अरविंद त्रिवेदी से नफरत करने लगे थे। जबकि खुद अरविंद त्रिवेदी रियल लाइफ मे बहुत बड़े राम भक्त थे।

रिपोर्ट्स की मानें तो लंकापति 'रावण' का किरदार निभाने वाले अरविंद त्रिवेदी जब वर्ष 1994 में अयोध्या के हनुमान गढ़ी पर संकट मोचन के दर्शन करने पहुंचे थे, तो वहां के प्रमुख पुजारी रेवती बाबा गुस्सा हो गए थे और उन्होंने कहा था कि मैं इनको किसी भी कीमत पर दर्शन नही करने दुंगा क्योंकि ये हनुमान जी को बार-बार मरकट और श्री राम को वन वन भटकता वनवासी कह कर संबोधित करता रहा है। दरअसल, ऐसा अरविन्द त्रिवेदी, रावण का किरदार निभाते वक़्त सीरियल में कहते थे, लेकिन कई लोग उसे सच मान लेते थे।

अरविंद त्रिवेदी को हनुमान जी के दर्शन करवाने के लिए प्रशासन घुटनों पर बैठ गया था पर पुजारी जी नहीं माने। आखिरकार अरविंद त्रिवेदी  को बगैर दर्शन किए ही वापस लौटना पड़ा। इस घटना के बाद उन्होंने अपने घर के कमरों और दीवारों पर रामायण के दोहे और चौपाइयों लिखवाई, घर के बाहर एक बड़ा सा बोर्ड लगवाया और उस पर 'श्री राम दरबार' लिखवाया। अरविंद जी के मन मे यह संताप रहने लगा कि मैंने कई बार प्रभु श्री राम को भले ही धारावाहिक में सही परन्तु अपमानजनक शब्द कहे हैं तो उन्होने इसके प्रायश्चित के लिए प्रति वर्ष रामायण का पाठ करवाना शुरू कर दिया।

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