मनमोहन सरकार में हुआ था देश का सबसे बड़ा आर्थिक घोटाला, विपक्षी कहते थे 'रिमोट PM'
मनमोहन सरकार में हुआ था देश का सबसे बड़ा आर्थिक घोटाला, विपक्षी कहते थे 'रिमोट PM'
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नई दिल्ली: देश के पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता मनमोहन सिंह का आज जन्मदिन है। उनका जन्म आज ही के दिन अविभाजित भारत के पंजाब में 1932 को हुआ था। बंटवारे के बाद सिंह का परिवार भारत आकर बस गया था। यहाँ पंजाब विश्वविद्यालय से उन्होंने स्नातक तथा स्नातकोत्तर स्तर की पढ़ाई पूरी की। बाद में वे कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय गये। जहाँ से उन्होंने पीएच. डी. की। तत्पश्चात् उन्होंने आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से डी. फिल. भी किया। 

1985 में राजीव गांधी के कार्यकाल में मनमोहन सिंह को भारतीय योजना आयोग का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया। इस पद पर उन्होंने निरन्तर पाँच वर्षों तक कार्य किया, इसके बाद 1990 में वे प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार बनाए गए। जब पी वी नरसिंहराव प्रधानमंत्री बने, तो उन्होंने मनमोहन सिंह को 1991 में अपने कैबिनेट में सम्मिलित करते हुए वित्त मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार सौंप दिया। इस समय डॉ॰ मनमोहन सिंह न तो लोकसभा और न ही राज्यसभा के सदस्य थे। किन्तु, संवैधानिक व्यवस्था के मुताबिक, सरकार के मंत्री को संसद का सदस्य होना आवश्यक होता है। इसलिए उन्हें 1991 में असम से राज्यसभा के लिए चुना गया। 

 

1998 से 2004 में वह राज्यसभा में विपक्ष के नेता थे। मनमोहन सिंह ने पहली दफा 72 वर्ष की आयु में 22 मई 2004 से प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल शुरू किया, जो अप्रैल 2009 तक चला। हालांकि, इस दौरान कुछ विवाद भी हुए, लेकिन इसके बाद 2009 में लोकसभा के चुनाव हुए और कांग्रेस के नेतृत्व वाला संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA)  पुन: विजयी हुआ और सिंह दोबारा प्रधानमंत्री पद पर आसीन हुए।

घोटालों से भी जुड़ा मनमोहन सिंह का नाम :-

टूजी स्पेक्ट्रम घोटाला:-

इसे आज़ाद भारत का सबसे बड़ा वित्तीय घोटाला माना जाता है, उस घोटाले में भारत के नियन्त्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट के मुताबिक, एक लाख छिहत्तर हजार करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है। इस घोटाले में विपक्ष के भारी दवाव के कारण मनमोहन सरकार में संचार मन्त्री ए राजा को न सिर्फ अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा, बल्कि उन्हें जेल भी जाना पडा। सर यही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पीएम सिंह की चुप्पी पर भी सवाल उठाया। इसके साथ ही टूजी स्पेक्ट्रम आवंटन को लेकर संचार मंत्री ए राजा की नियुक्ति के लिये हुई पैरवी के सम्बन्ध में नीरा राडिया, पत्रकारों, नेताओं और उद्योगपतियों से बातचीत के बाद मनमोहन सिंह की सरकार भी विवादों में आ गई थी।

कोयला आवंटन घोटाला:-

मनमोहन सिंह के कार्यकाल में देश में कोयला आवंटन के नाम पर लगभग 26 लाख करोड़ रुपये की लूट हुई और कहा जाता है कि सब कुछ प्रधानमंत्री की देखरेख में हुआ, क्योंकि यह मंत्रालय उन्हीं के अधीन है। इस महाघोटाले का राज है कोयले का कैप्टिव ब्लॉक, जिसमें प्राइवेट सेक्टर को उनकी मर्जी के अनुसार, ब्लॉक आवंटित कर दिया गया। इस कैप्टिव ब्लॉक नीति का लाभ हिंडाल्को, जेपी पावर, जिंदल पावर, जीवीके पावर और एस्सार आदि जैसी कंपनियों ने जमकर उठाया। यह नीति खुद पीएम मनमोहन सिंह की दिमाग की पैदाइश थी। हालाँकि, इतना सबकुछ होने के बाद भी मनमोहन सिंह की नियत पर कभी सवाल नहीं उठे, बल्कि सारा आरोप कांग्रेस हाईकमान यानी सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर लगा। ऐसा इसलिए क्योंकि, सियासी गलियारों में यह बात सभी लोग जानते थे कि मनमोहन सिंह केवल रिमोट पीएम हैं और उन्हें कांग्रेस हाईकमान द्वारा दिए गए आदेशों का पालन करना पड़ता है।  

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