श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट का कहना है कि जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 संविधान में स्थाई हो गया है. अब इसमें न तो संशोधन किया जा सकता है और न ही इसे हटाया या रद्द किया जा सकता है. अदालत ने कहा कि आर्टिकल 35A जम्मू-कश्मीर में लागू मौजूदा कानूनों को 'संरक्षण' देता है ऐसे में इसे खत्म करना भी मुश्किल है.
न्यायमूर्ति हसनैन मसूदी और न्यायमूर्ति राज कोटवाल की खंडपीठ ने 60 पेज के फैसले में कहा कि 'अस्थायी प्रावधान' के शीर्षक के तौर पर और पैरा 21 में अस्थायी, परिवर्तनकारी और विशेष उपबंधों के शीर्षक से शामिल किया गया आर्टिकल 370 संविधान में स्थायी जगह बना चुका है. इसीलिए इसमें संशोधन नहीं किया जा सकता और न ही इसे हटाया या रद्द किया जा सकता है क्योंकि देश की संविधान सभा ने 25 जनवरी, 1957 को उसे भंग किए जाने से पहले ऐसी कोई अनुशंसा नहीं की.
परिणामस्वरूप, आर्टिकल 370 के अस्थायी उपबंध वाले शीर्षक के तौर पर उल्लिखित होने के बावजूद यह संविधान का एक स्थायी प्रावधान है, क्योंकि आर्टिकल 370, खंड (3) के तहत दी गई व्यवस्था अब मौजूद नहीं है. अदालत ने अपने फैसले में कहा कि आर्टिकल 370(1) के तहत राष्ट्रपति को संविधान के किसी उपबंध को कुछ सुधारों के साथ राज्य पर लागू करने का अधिकार है.