नई दिल्ली : केन्द्र की मोदी सरकार ने भले की मंगलवार की आधी रात से पांच सौ और एक हजार के नोट चलन से बंद कर दिये हो लेकिन उन्होंने इसकी तैयारी पिछले दिनों से शुरू कर दी थी। बताया गया है कि मोदी ने न केवल बड़े नोट बंद करने के फायदे जाने थे वहीं होने वाले आंशिक नुकसान से भी उन्हे अवगत करा दिया गया था। सब कुछ सोच समझने के बाद ही उन्होंने पांच सौ तथा एक हजार रूपये के नोट को बंद करने का ऐलान किया है।
जानकारी के अनुसार अर्थ क्रांति संस्थान ने मोदी को बड़े नोट बंद करने के फायदे गिनाये थे और इसके लिये संस्था के प्रमुख सदस्य अनिल बोकिल ने मोदी से चर्चा भी की थी। हालांकि मोदी ने बोकिल को मुलाकात के लिये महज 9 मिनट का ही वक्त दिया था लेकिन जिस तरह से बोकिल ने मोदी को नोट के बारे में जानकारी दी, उससे मोदी को दो घंटे का समय लग गया।
संस्था की ओर से यह दावा किया गया है कि अर्थ क्रांति संस्थान के प्रपोजल को मोदी ने बेहतरी से समझा और फिर बड़े नोटों को बंद करने का निर्णय लिया। दावा किया गया है कि मोदी से पहले भी संस्था ने राहुल गांधी से इस मामले में मुलाकात की थी, लेकिन बात जमी नहीं क्योंकि महज दस पंद्रह सेकंड में संस्था के सदस्य राहुल को ज्यादा कुछ समझा नहीं सके थे।
ईमानदारी से जीने वाले नोट बंद करने की व्यवस्था से मुस्कुरा रहे हैं