देश में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की बढ़ती संख्या के बीच केंद्र सरकार ने आरोग्य सेतु एप लॉन्च किया था। इस एप को सभी लोगों को अपने स्मार्टफोन में डाउनलोड करने की बात कही गई थी। हालांकि इस संबंध में जो दिशा—निर्देश आए थे, उनमें साफ किया गया था कि यह एप विशेष तौर पर सरकारी या निजी दफ्तरों में काम करने वाले लोगों के फोन में डाउनलोड करना या करवाना अनिवार्य है।परंतु सोशल मीडिया पर कई ऐसी शिकायतें और सवाल आ रहे हैं जिनमें कहा गया है कि हाउसिंग सोसाइटी में भी इसे डाउनलोड करने पर जोर दिया जा रहा है। वहीं कई लोगों का यह भी कहना है कि उनके पास स्मार्टफोन ही नहीं है। कुछ का कहना है कि घर में एक ही स्मार्टफोन है और वो भी उनका बच्चा ऑनलाइन पढ़ाई करने के लिए इस्तेमाल करता है।
कुछ लोगों ने तो अपनी अधिक उम्र का हवाला देते हुए यहां तक कहा कि उन्हें स्मार्टफोन चलाना ही नहीं आता है, फिर कैसे वे आसानी से आरोग्य सेतु एप का इस्तेमाल कर पाएंगे।बहरहाल, इन सभी तरह की समस्याओं के संबंध में केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शनिवार को कहा कि लॉकडाउन के दौरान दिशा-निर्देशों के अनुसार आरोग्य सेतु ऐप का उपयोग केवल सरकारी और निजी कर्मचारियों के लिए अनिवार्य किया गया है, न कि घरेलू मदद या ऐसे अन्य किसी मामलों के लिए। क्योंकि घर में रहने वाले लोगों के लिए इस एप का उपयोग करने की कोई खास आवश्यकता नहीं है। हां वे चाहें तो डाउनलोड कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि दफ्तरों में जाने वाले अधिकारी-कर्मचारी घर से बाहर होते हैं, यही वजह है कि उनके लिए इस एप को डाउनलोड करना अनिवार्य है।
उन्होंने कहा कि हालांकि सरकार सभी लोगों को स्मार्टफोन के साथ आरोग्य सेतु ऐप डाउनलोड करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। बता दें कि देश में करीब 120 करोड़ लोगों के पास मोबाइल फोन हैं। हालांकि इनमें से करीब 35 करोड़ लोगों के पास ही स्मार्टफोन है। गृह मंत्रालय के अधिकारी ने स्पष्टीकरण में कहा कि मंत्रालय के निर्देश में साफ कहा गया था कि यह एप निजी और सरकारी दोनों कंपनियों के कर्मचारियों के लिए अनिवार्य है। इतना ही नहीं, कंपनी के प्रमुख पर इसकी जवाबदेही भी होगी कि उसके सभी कर्मचारी इस एप को डाउनलोड कर लें।
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