सुरक्षा के दौरान लालचौक से करीब 30 किलोमीटर दूर मीरगुंड पट्टन में गश्त कर जवानों ने एक मकान का दरवाजे पर दस्तक दी. दरवाजा खुला और गश्तीदल के कमांडर ने मकान मालिक से कुछ पूछा और थोड़ी देर में दो बच्चे बाहर निकले. जवानों ने बच्चों से उनका नाम पूछा और फिर उन्हें कुछ किताबें, पेंटिंग का सामान और खिलौने दिए. बच्चों ने शुक्रिया अदा किया और जवान आगे बढ़ गए. यह सिर्फ एक गली-मोहल्ले की घटना नहीं, बल्कि जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) से सटे इलाकों से लेकर वादी के भीतर आतंकवादग्रस्त इलाकों में सेना की कश्मीर के कल में नए रंग भरने की मुहिम है.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि लॉकडाउन में वह बच्चों की रंगों और किताबों से दोस्ती करा रहे हैं. इसीलिए गली-मुहल्लों में सुरक्षाबलों के जवान अकसर बच्चों के साथ बतियाते या उन्हें किताबें, खिलौने बांटते नजर आ रहे हैं. इतना ही उनके लिए पेंटिंग प्रतियोगिताएं और अन्य गतिविधियों का आयोजन भी किया जा रहा है. सुरक्षाबल बच्चों के साथ संपर्क बनाने में जुटे हैं ताकि कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के नकारात्मक असर से बच्चों को बचाया जाए और उनके जीवन में उम्मीदों के नए रंग भरे जाएं.
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इस मामले को लेकर रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि लॉकडाउन में बच्चे कहीं न कहीं नजरंदाज हो रहे हैं. शहरी इलाकों में बच्चों के पास मनोरंजन के कई साधन हैं. इंटरनेट है, टीवी का आनंद ले सकते हैं, लेकिन वादी में ग्रामीण अंचल में बच्चों के पास इस तरह के साधन नहीं है. बच्चे संक्रमण की आशंका से घरों से बाहर खेल नहीं पा रहे हैं. ऐसे में उन्हें शारीरिक दूरी के सिद्धांत से अवगत कराने, उनके जरिए पूरे पूरिवार में स्वच्छता के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए ही यह अभियान शुरू किया गया है. हमारे जवान और अधिकारी अपने कायक्षेत्र में बच्चों में स्टेशनरी, इंडोर खेलों का सामान, पेंटिंग का सामान बांट रहे हैं.
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