जन्म और मृत्यु के इस रहस्य से क्या आप भली भाँती परिचित है
जन्म और मृत्यु के इस रहस्य से क्या आप भली भाँती परिचित है
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इस ब्रम्हांड की प्रकृति के अनुसार संसार को दो पहलू जन्म और मृत्यु में विभाजित किया गया है इसी से संसार में आवागमन, उदय और अस्त, सुख -दुःख आदि संभव है इस पृथ्वी पर रहस्यमयी और सबसे बड़ी सत्यता यह है की जो जन्मा है वह निश्चित रूप से मरेगा चाहे वह कोई भी जीव जंतु या निर्जीव क्यों न हो एक न एक दिन सभी को नष्ट होना है. लेकिन क्या मृत्यु आने से पहले कोई आहट होती है? क्या ऐसा लगता है. कि हमारी मौत नजदीक है? ऐसे कई सवाल हैं. जो अपने आप में रहस्य हैं। सदियों से अनेकों विद्वानों ने अनेकों तरीकों से इन रहस्यों को सुलझाने का हर संभव प्रयास किया, लेकिन वो आज भी पता नहीं कर पाए हैं कि आखिर मृत्यु के बाद क्या होता है?

किसी ने सच ही कहा है -  आया है तो जाएगा राजा, रंक, फकीर .इस संसार सागर से एक न एक दिन सभी को जाना है. हिंदू पुराणों और ग्रथों के अनुसार बताया जा रहा है की यदि मृत्यु के समय जीव का मन शांत हो उसके मन में इस संसार की कोई इच्छा न हो तो निश्चित रूप से उसको बिना कष्टों के मृत्यु मिल जाती है. वह इस संसार सागर से मुक्त हो जाता है .कहने का आशय आत्मा शुद्धी से ही परमात्मा के पास पहुंचते है.आपका पहला चक्र है मूलाधार चक्र, दूसरा लिंग चक्र, तीसरा नाभि चक्र, चौथा हृदय चक्र, पांचवा कंठ चक्र, छठा आज्ञा चक्र, सातवां चक्र है सहस्रसार चक्र। पुराणों में यह वर्णित है कि मृत्यु की आहट सर्वप्रथम नाभि में होती है.

नाभी में मृत्यु के आने की हलचल होती है मृत्यु के आने का सबसे पहले पता नाभि चक्र से जाना जा सकता है। यह नाभि चक्र एक दिन में नहीं टूटता है, इसके टूटने की क्रिया लंबे समय तक जारी रहती है और जैसे-जैसे चक्र टूटता जाता है. मृत्यु के करीब आने के दूसरे कई लक्षण महसूस होने लगते हैं। यह बात भी वर्णित है की जब जीव की मृत्यु आती है. तो हथेली में मौजूद रेखाएं अस्पष्ट और इतनी हल्की दिखाई देने लगती हैं.

जिस व्यक्ति की मृत्यु हो रही है उसको अपने आस-पास कुछ सायों के मौजूद होने का अहसास होता रहता है.ऐसे व्यक्तियों को अपने पूर्वज और कई मृत व्यक्ति नजर आते रहते हैं.पुराणों में एक गरूड़ पुराण में यह तथ्य उल्लेखित है. कि जब जीव की मृत्यु करीब आती है तो व्यक्ति को अपने करीब बैठा इंसान भी नजर नहीं आता है. ऐसे समय में व्यक्ति को यम के दूत नजर आने लगते हैं. और व्यक्ति उन्हें देखकर डरता है। इसीलिए जब तक जीवन चक्र चलता रहता है. तब तक सांसें सीधी चलती है.

लेकिन जब किसी व्यक्ति की मृत्यु करीब आ जाती है तो उसकी सांसें उल्टी चलने लगती है। इस संसार में जन्म और मरण दो फेरे है .और जिस व्यक्ति ने अपने जीवन में अच्छे कर्म किये , पुण्य और परोपकार के साथ जीना सीखा , प्रभु का भजन किया वही इस संसार के आवागन से मुक्क्त हुआ फिर उसे इस जन्म मृत्यु का सामना नहीं करना पड़ा.

 

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