केेंद्र सरकार ने जब 500 रूपए और 100 रूपए के नोट्स को बंद करने का नियम लागू कर दिया तो हर कहीं हड़कंप मच गया। लोग बड़े पैमाने पर बाजार में निकल गए और अपने नोट देकर खरीदी करने लगे मगर सबसे ज़्यादा परेशानी हुई तो कालाधन रखने वालों को काली कमाई करने वालों का धन अंततः राख की तरह काला हो गया। जी हां, काला धन जमा करने वाले हर वक्त उधेड़बुन में रहे कि किसी तरह उनका पैसा बच जाए। वे कई तरह से पैसे को निवेश कर और खर्च कर कुछ रूपए बचाने की जुगाड़ में रहे मगर जो बचा वह राख की तरह काला होकर रह गया।
हालांकि अब 2000 रूपए के नोट बाजार में आ रहे हैं और नई करेंसी के बाद आर्थिक क्रियाऐं वैसी ही संचालित होने की उम्मीद है जैसी पहले चल रही थी। ऐसे में काली कमाई करने वाले फिर जुगत भिड़ा रहे हैं कि वे सरकार के लाल - गुलाबी नोट्स को काला कैसे बनाऐं। हालांकि सरकार के इस प्रयास से अभी तक जमा काला धन बड़े पैमाने पर समाप्त हुआ है और जनता ने कालेधन के मसले पर राहत पाई है।
सरकार के फैसले से बैंक्स की लाईन में लगे लोग आंशिक तौर पर मुश्किलों का अनुभव कर रहे होंगे लेकिन हर ओर व्याप्त भ्रष्टाचार से उन्हें भाजपा नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के इस कार्यकाल में मुक्ति मिल गई है। विपक्ष तरह-तरह के आरोप लगा रहा है। काली कमाई करने वाले परेशान हो रहे हैं मगर सरकार के कोष में एक बड़ा रेवेन्यू आ गया है। उम्मीद की जा रही है कि रूटीन में व्हाईट मनी के तौर पर आ गया कालाधन अब जनता के लिए कार्य में लाया जाएगा और सही अर्थों में जनता अपने द्वारा किए जाने वाले शासन के विकास कार्यों को देख पाएगी।