कश्मीर हिंसा से रोज हो रहा 135 करोड़ का नुकसान
कश्मीर हिंसा से रोज हो रहा 135 करोड़ का नुकसान
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श्रीनगर : पिछले 50 दिनों से कश्मीर हिंसा की आग में जल रहा है. अब तक 67 लोगों की मौत हो चुकी है. इस हिंसा ने केवल जान-माल का ही नुकसान नही पहुँचाया है, बल्कि इस हिंसा से रोजाना 135 करोड़ रु. का नुकसान हो रहा है. ऐसी ही सभी समस्याओं को लेकर जम्मू-कश्मीर की सीएम मेहबूबा मुफ़्ती ने दिल्ली में शनिवार को पीएम मोदी से मुलाकात की. यह पता ही है कि सितंबर के पहले सप्ताह में सर्वदलीय प्रतिनिधि मण्डल कश्मीर जाएगा.

गौरतलब है कि गत 8 जुलाई को हिजबुल कमांडर बुरहान के मारे के बाद कश्मीर को शायद इतना ज्यादा आर्थिक हानि नहीं होती, लेकिन यहां अलगाववादी आए दिन पत्थरबाजी और हड़ताल करवाते हैं. गरीब और युवा बेरोजगारों को अलगाववादी ही भड़का रहे हैं.

मिली जानकारी के अनुसार इन बातों का असर राज्य सरकार के खजाने पर भी पड़ा है. जम्मू-कश्मीर सरकार को पिछले डेढ़ महीने में करीब 300 करोड़ की राजस्व हानि हुई है. गुरुवार को राजनाथ सिंह ने शांति की अपील करते हुए पैलेट गन का विकल्प देने का भरोसा भी दिलाया था. आरोप है कि इस गन की वजह से कई लोग मारे गए हैं सरकार पैलेट गन की जगह विकल्प में पावा शेल्स के उपयोग पर विचार कर रही है.

हिजबुल कमांडर बुरहान वानी के 8 जुलाई को हुए एनकाउंटर के पहले कश्मीर में हालात आमतौर पर सामान्य थे. पाकिस्तान की तरफ से होने वाली घुसपैठ को लेकर सुरक्षा बल सतर्क थे. घुसपैठ की कई कोशिशें नाकाम कर दी गईं, लेकिन जैसे ही आतंकियों का पोस्टर ब्वॉय बुरहान वानी मारा गया, हालात बिगड़ते गए. यहां कर्फ्यू के 50 दिन पूरे हो चुके हैं. बेहद गिने-चुने इलाकों में ढील दी गई, लेकिन अक्सर हिंसा भड़क जाती है. कश्मीर ट्रेडर्स एंड मैन्यूफैक्चररर्स फेडरेशन यानी केटीएमएफ के अध्यक्ष मोहम्मद यासीन खानने बताया कि पिछले छह महीने के आंकड़ों के आधार पर हमारा आकलन ये है कि 135 करोड़ रुपए रोज का नुकसान हो रहा है जो 50 दिन में 6535 करोड़ रुपए होता है.

यही नही कश्मीरी हिंसा से राज्य सरकार को सेल टैक्स या लेवी के जरिए जो राजस्व मिलता था, वो भी लगभग बंद है. पिछले 45 दिनों में सरकार 300 करोड़ गंवा चुकी है. डल झील में अब शिकारे नहीं के बराबर दिखते हैं. हिंसा के कारण पर्यटक कश्मीर आने से बच रहे हैं. हिंसा से पर्यटन प्रभावित हो रहा है. पर्यटकों से रोजी कमाने वाले बुरी तरह परेशान हैं. यही हाल होटलों और हाउसबोटों का भी है. जब तक हालात नहीं सुधरेंगे, पर्यटन विभाग भी लाचार है.

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