अपनी किताब मे कुछ पन्ने कोरे रखना जिंदगी के हिसाब अभी बाक़ी है,,,,,,,,,,, शिक़वे और शिकायतो की फेहरिस्त मे जरा बहुमूल्य राज़ अभी बाक़ी है,,,,,,,,,, कम पड़े होंगे अल्फ़ाज़ कलम को तुम्हारी अभी तो लफ्ज़ बेहिसाब बाक़ी है,,,,,,,,,,, ए मौत रुक के अपने हिज़ाब मे रहना तू जिंदगी के दरख्त पनपना बाक़ी है,,,,,,,,,,