अपने भी अलग फ़साने थे
अपने भी अलग फ़साने थे
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कुछ दिन पहले तक तो हम
अनदेखे अनजाने थे ।
तुम भी तो थे अलग-अलग
अपने भी अलग फ़साने थे ॥

फिर इक दिन ऐसा आया कि
हम थे आखिर यहाँ मिले ।
धीरे-धीरे हौले-हौले 
थे याराना के फूल खिले ॥

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