एनीथिंग बट खामोश का विमोचन और पार्टी का दुःख
एनीथिंग बट खामोश का विमोचन और पार्टी का दुःख
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नई दिल्ली : बुधवार रात को जहाँ एक तरफ शत्रुघन सिन्हा की जीवनी "एनीथिंग बट खामोश" का विमोचन कार्यक्रम आयोजित किया गया था तो वहीँ दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का दर्द भी सबके सामने आने से नहीं रुका. इस दौरान जहाँ लाल कृष्ण आडवाणी पार्टी को लेकर ज्यादा भावुक नहीं दिखे तो वहीँ दूसरी तरफ यशवंत सिन्हा के दर्द का बांध जैसे यहाँ टूट सा गया और उन्होंने पार्टी से शिकायते भी की. सिन्हा ने इस दौरान यह भी कहा कि बिहार चुनाव के दौरान उनका और शत्रुघ्न का केवल इस्तेमाल किया गया है.

इसके साथ ही अपने दुःख में यह भी कहा गया कि पार्टी के द्वारा किसी को भी राज्यसभा में दो बार ना भेजे जाने का फैसला केवल शत्रुघन सिन्हा पर लागू हुआ. इसके साथ ही यशवंत सिन्हा के द्वारा राज्यसभा उम्मीदवारों के चयन को लेकर अलग-अलग मानदंड अपनाए जाने की आलोचना भी की और साथ ही यह भी कहा कि मार्गदर्शक मंडल में केवल बुजुर्ग नेताओं को ही शामिल किया गया है.

इस दौरान जहाँ सिन्हा के लगातार कटाक्ष सामने आ रहे थे वहां आडवाणी के चेहरे पर मुस्कराहट देखने को मिली. मागर्दशक मंडल को एक व्यंगात्मक रूप देते हुए सिन्हा ने यह भी कहा कि यह एक "चुनिंदा क्लब" है जिसके ना तो वे सदस्य है और ना ही इस मंडल की कभी बैठक हुई है.

साथ ही उन्होंने इस लहजे में ही यह भी कहा है कि यहाँ जिन व्यक्तियों की उम्र 75 वर्ष से ऊपर हो चुकी है उन्हें "ब्रेन डेड" कहा जाना है. इसी कारण में लगातार यह बताने की कोशिश करने में लगा हुआ हुँ कि मैं "ब्रेन डेड" श्रेणी में नहीं आता हूँ. इसके साथ ही आडवाणी ने यह भी कहा कि शत्रुघ्न को उनकी किताब के अनुसार लगातार तीसरी बार राजयसभा नहीं भेजे जाने के पार्टी के फैसले पर अफ़सोस भी जताया.

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