पापा मैं IPS बनना चाहती थी.. मगर जी नहीं सकती
पापा मैं IPS बनना चाहती थी.. मगर जी नहीं सकती
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हरियाणा : हरियाणा में एक गरीब किसान की बेटी ने IPS अफसर बनने का सपना देखा था. लेकिन एक मनचले की वजह से उसके सारे सपने टूट गए. जो लड़की अपने और अपने परिवार के सपनों को सच करना चाहती थी. उसके सपनों को कत्ल कर दिया गया. और इसके बाद वह लड़की जिंदगी से हार गई. मामला हरियाणा के पिंजौर रायतन क्षेत्र के गवाही गांव है. 24 साल की लड़की अनुराधा ठाकुर ने मौत को गले लगा लिया. अनुराधा बहुत होनहार लड़की थी. उसने कामयाबी के कई सपने देखे थे. उन सपनों को पूरा करने के लिये वो रात दिन मेहनत कर रही थी. वह आईपीएस बनना चाहती थी. लेकिन एक मनचले की सनक ने उसके सपनों को चकनाचूर कर दिया.

अनुराधा ने मरने से पहले अपनी जिंदगी का सबसे बड़ा दर्द चार पन्नों के सुसाइड नोट में लिखा. जिसे पढ़कर लोगों की आंखें नम हो गई. अनुराधा ने लिखा मेरे बहुत सपने थे. मैं आईपीएस बनना चाहती थी. मगर बच्ची (आरोपी का नाम) ने मेरे अंदर जीने की इच्छा ही नहीं छोड़ी. वो बहुत गलत इंसान है बहुत ज्यादा घटिया. ऐसे इंसान के साथ में घर बसाने से तो अच्छा है कि मैं अपनी जान भी दे दूं. मुझे अपनी मीठी बातों में फंसा कर वह मुझ से बातें कर रहा था और मैं उसे समझ नहीं पाई, नफरत हो गई है उससे. मेरे पापा ने बहुत मेहनत करके हमारा पालन पोषण किया है और मैं उनकी मेहनत की कदर भी नहीं कर पाई. प्यार बहुत करती हूं अपनी फैमिली से. मेरी फैमिली बहुत अच्छी है. मैं जीना नहीं चाहती इतनी बेबस हो गई है जिंदगी कि अब हिम्मत नहीं रही जीने की. और इसका जिम्मेदार सिर्फ बच्ची और इसके साथ महिपाल. महिपाल के पापा, उसकी मम्मी और संगीता. इन सब ने मिलकर मुझे बर्बाद कर दिया है. अगर मुझे कुछ हो जाए तो इन पांच इंसानों को पुलिस रिमांड में भेजना. कंपलेंट करना इनके खिलाफ. और मेरी इच्छा यही है कि पुलिस इनका का वह हाल करे कि ये कभी भी किसी की बेटी की बेइज्जती ना करें. बच्ची मुझे कहता है अगर मरना तो मर जा पर छोडूंगा नहीं. बच्ची, तुझे एक बद्दुआ है मेरी कि तुम्हारी बेटियां एक दिन तुमको ऐसे ही खून के आंसू रुलाएंगी. उस दिन तुम्हें एहसास होगा कि किसी की बहन और बेटी की बेइज्जती करना क्या होता है. जब मैं मर जाऊंगी तो मेरे शरीर को जलाना नहीं. पहले पुलिस वालों को फोन करना. उसके बाद पुलिस वालों से कहना उस लड़के को गिरफ्तार करो. मुझे पता है मेरे ऐसा करने से आपको आपकी बेटी तो वापस नहीं मिलने वाली, पर क्या करूं उस कमीने इंसान का नाम जुड़ गया है मेरे साथ. और वो तब तक नहीं मिटेगा जब तक मैं नहीं मिट जाऊं.'

अनुराधा ने ये सुसाइड नोट लिखकर बीती 14 जुलाई की सुबह 11 बजे फांसी लगाकर अपनी जान दे दी. अनुराधा के परिवार ने उसकी लाश को कमरे की छत से लगे हुक पर लटके हुए पाया. इस घटना के बारे में परिवार ने पुलिस को सूचना दी. हरियाणा पुलिस की टीम दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र में पड़ने वाले गांव गवाही पहुंची और लाश को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए कालका सिविल हॉस्पिटल भिजवा दिया.

पुलिस ने जब पीडिता के कमरे की तलाशी ली तो मौके से सुसाइड नोट बरामद हो गया. जिसके मिलने के बाद परिजनों की शिकायत के आधार पुलिस ने पांच लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया. आरोपियों में गांव भवाना के ऑटो ड्राईवर बच्ची उसके साथी महिपाल और महिपाल के परिजन शामिल हैं. फ़िलहाल सभी आरोपी फरार है. पुलिस फरार आरोपियों की तलाश कर रही है. पुलिस आरोपियों की तलाश कर रही है. सभी आरोपी फरार हैं.

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