कश्मीरी पंडित की विस्थापन बरसी पर अनुपम खेर ने शेयर की कविता
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कश्मीर घाटी के पंडितों के विस्थापन की आज 27 वीं बरसी हैं। इस अवसर पर अभिनेता अनुपम खेर ने कश्मीरी पंडितों के लिए अपना दर्द कविता के जरिये बयान किया हैं। उन्होंने एक कविता ट्विटर पर शेयर की है। गौरतलब है कि अनुपम खेर खुद एक कश्मीरी ब्राह्मण हैं। मुस्लिम बहुल जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडित अल्पसंख्यक हैं।  

खबरों के मुताबिक, अनुपम ने यह कविता शेयर करते हुए लिखा कि 27 साल हो गए, हम कश्मीरी पंडित अपने ही देश में अब भी शरणार्थी हैं। यह पोएट्री  उनके उस खामोश विरोध की प्रतीक है। इसे शेयर करें।

सोशल मीडिया पर शेयर की गई इस कविता को कश्मीरी कवि डॉ. शशि शेखर तोशखानी ने लिखा है। कविता के बोल हैं, 'फैलेगा-फैलेगा हमारा मौन समुद्र में नमक की तरह, नसों के दौड़ते रक्त में घुलता हुआ पहुंचेगा दिलों की धड़कनों के बहुत समीप, और बोरी से रिसते आटे सा देगा हमारा पता।' 

बता दें कि इससे पहले अनुपम ने एक्ट्रेस जायरा वसीम को भी अपना सपोर्ट किया था। जिन्हें जम्मू-कश्मीर की सीएम महबूबा मुफ्ती से मुलाकात करने पर फेसबुक पर माफी मांगी थी।  

 

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